दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली के हरियाणा भवन में मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के साथ करीब तीन घंटे तक बैठक की। इस बंद कमरे की बैठक में 70 से अधिक मुस्लिम मौलाना, स्कॉलर और धर्मगुरु मौजूद रहे। बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी और आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार समेत संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। हालांकि बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई, इसकी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। इससे पहले सितंबर 2022 में भी मोहन भागवत ने दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी। उस समय ज्ञानवापी विवाद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उस मुलाकात के बाद भागवत दिल्ली की एक मस्जिद भी गए थे। आरएसएस अपनी सहयोगी संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के जरिए मुस्लिम समाज के मौलवियों और धर्मगुरुओं से संवाद करता रहा है। एमआरएम ने 2023 में कहा था कि वह ‘वन नेशन, वन फ्लैग, वन नेशनल एंथम’ (एक राष्ट्र, एक झंडा, एक राष्ट्रगान) के लिए देशभर में अभियान चलाएगा। 2021 में मुंबई में मुस्लिम विद्वानों के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों के पूर्वज एक हैं। मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि भारत में ‘मुस्लिम वर्चस्व’ नहीं बल्कि ‘भारत वर्चस्व’ की सोच रखनी होगी। भागवत ने यह भी कहा था कि ‘हिंदू’ कोई जाति या भाषा से जुड़ा शब्द नहीं, बल्कि यह व्यक्ति के विकास और उत्थान का मार्गदर्शन करने वाली परंपरा है। उन्होंने मुस्लिम नेताओं से अपील की थी कि वे कट्टरपंथ के खिलाफ खड़े हों।
