रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि धनखड़ को विपक्ष के प्रति उनके रुख और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों को सदन में प्रमुखता न मिलने से हुई नाराजगी के चलते पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। कहा कि जाट का बेटा और किसान नेता को बीजेपी ने धक्का दे दिया है।
सुप्रियो ने कहा कि यह भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति को कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देना पड़ा है। संसद सत्र की कार्यवाही का विश्लेषण करने पर यह साफ होता है कि धनखड़ विपक्ष की आवाज को मंच देना चाहते थे, लेकिन सरकार के दबाव में उन्हें पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सेना के शौर्य से जुड़ी घटनाओं को कार्यसूची से हटाया जाना उपराष्ट्रपति की नाराजगी का एक बड़ा कारण रहा। इसके अलावा, पोर्ट के निजीकरण को लेकर सदन में चर्चा की बात पहले तय थी, लेकिन बाद में उसे भी हटा दिया गया — और वह भी उस कंपनी के पक्ष में, जिसे लेकर कई बार सवाल उठे हैं।
भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में न तो संसदीय कार्यमंत्री शामिल हुए, न ही सदन के नेता जेपी नड्डा। ऐसे में संसदीय परंपरा को नजरअंदाज किया गया। नड्डा की ओर से खुलेआम यह कहना कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की बातों को रिकॉर्ड में नहीं लिया जाएगा, यह दिखाता है कि उपराष्ट्रपति की भूमिका को सीमित करने की कोशिश हो रही थी।
