रांची: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार 10 जुलाई को रांची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक अध्यक्षता की . इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री सुश्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सहित सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. झारखंड में आयोजित इस बैठक में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों ने पूर्व से प्रस्तावित विषयों पर चर्चा की और समाधान का रास्ता निकालने की कोशिश की. इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय बनाने, प्रत्येक गांव के नियत दायरे में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधा, पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, शहरी प्लानिंग और सहकारिता व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण सहित क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित के विभिन्न मुद्दे शामिल रहे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नक्सलवाद के विरुद्ध सभी राज्यों की एकजुटता और सुरक्षा बलों की बहादुरी से हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि हम 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कर के रहेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और ओडिशा काफी हद तक नक्सलवाद से मुक्त हो गए हैं. मोदी जी की TEAM BHARAT की कल्पना के तहत राज्यों के विकास के माध्यम से भारत का विकास और 2047 तक भारत को एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम सब मिलकर आगे बढ़ते रहें. हमारे संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए अंतर्राज्यीय परिषद और क्षेत्रीय परिषद को संविधान और कानून में आधार दिया गया है और उसी के तहत क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें आयोजित होती हैं.केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदें अब Advisory से Actionable Platform बन गई हैं और इनके माध्यम से हम केंद्र के साथ राज्यों और राज्यों के बीच के आपसी मुद्दों को काफी हद तक हल करने में सफल हुए हैं. क्षेत्रीय परिषदें अब Forum of Discussion की जगह Engine of Co-operation बन गई हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 25 बैठकें हुईं, जबकि 2014 से 2025 में यह दोगुने से भी अधिक बढ़कर 63 हो चुकी हैं. उन्होंने कहा कि हम प्रतिवर्ष 2-3 बैठकों से आगे बढ़कर प्रतिवर्ष लगभग 6 बैठकों के आयोजन तक पहुंच गए हैं. इन बैठकों में कुल 1580 मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें से 1287, यानी 83 प्रतिशत मुद्दे हल कर लिए गए हैं, जो हम सबके लिए एक बहुत संतोष का विषय है.
