घाटशिला। झामुमो के दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद अब उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बड़े बेटे सोमेश सोरेन आगे बढ़ाएंगे। घाटशिला विधानसभा कमेटी की अहम बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी के तौर पर सोमेश ही चुनावी मैदान में उतरेंगे। बैठक पावड़ा स्थित माझी परगना महाल भवन में हुई, जिसमें घाटशिला, धालभूमगढ़, मुसाबनी और गुड़ाबांदा प्रखंडों के पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सोमेश सोरेन ने भावुक अंदाज़ में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिता रामदास सोरेन ने कम समय में ही मेहनत और काम से घाटशिला की जनता के बीच एक अलग पहचान बनाई थी। अब यह जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, जिसे वे पूरी निष्ठा से निभाएंगे। सोशल मीडिया पर लिखे संदेश में उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को नमन करते हुए कहा कि राजनीति सीखी नहीं जाती, हालात और परिस्थितियां ही आगे बढ़ाती हैं। जिला संयोजक प्रमुख बाघराय मार्डी ने कहा कि केंद्रीय कमेटी का फैसला चाहे जो हो, घाटशिला के कार्यकर्ता अब यह ठान चुके हैं कि सोमेश ही उनके उम्मीदवार होंगे। उन्होंने दावा किया कि कार्यकर्ताओं का जोश साफ बता रहा है कि यह सीट झामुमो की झोली में जाएगी और सोमेश को विधानसभा भेजा जाएगा। राजनीति के जानकार मानते हैं कि झारखंड में यह परंपरा रही है कि विधायक या मंत्री के निधन के बाद उनके परिवार के किसी सदस्य को मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है। जगन्नाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री पद मिला और हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके बेटे हफीजुल हसन को। ऐसे में यह कयास भी तेज हो गए हैं कि अगर सोमेश उपचुनाव जीतते हैं तो हेमंत सरकार उन्हें मंत्री पद देकर पिता की विरासत को सम्मानित कर सकती है। फिलहाल, अब सबकी निगाहें पार्टी आलाकमान के फैसले पर टिकी हैं।
