झारखंड को मिले 126 नए चिकित्सक, स्वास्थ्य मंत्री ने सौंपे नियुक्ति पत्र

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रांची। राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी कमी को पूरा करने कवायद शुरू हो गई है. स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अहम उपलब्धि माना जा रहा है। वर्षों से चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहे राज्य के सरकारी अस्पतालों को आज 126 नए विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी मिले हैं। इनकी नियुक्ति अनुबंध आधारित की गई है, जिसका कार्यकाल प्रारंभ में एक वर्ष का होगा और आवश्यकता पड़ने पर इसे अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। राजधानी रांची के नामकुम स्थित आईपीएच प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने नवनियुक्त चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन विशेषज्ञों की नियुक्ति से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी लोगों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। नियुक्त 126 विशेषज्ञों में 22 शिशु रोग विशेषज्ञ सबसे अधिक हैं। इनके अलावा 20 सर्जन, 19 स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 17 एनेस्थेटिस्ट, 11 जनरल मेडिसिन विशेषज्ञ, 10 ऑर्थोपेडिक सर्जन, 9 नेत्र रोग विशेषज्ञ, 5 ईएनटी (कान-नाक-गला) विशेषज्ञ, 5 मानसिक रोग विशेषज्ञ (साइकेट्रिस्ट), 4 रेडियोलॉजिस्ट और 4 त्वचा रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने कुल 219 विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुबंध पर नियुक्ति के लिए टेंडर के माध्यम से विज्ञापन जारी किया था, लेकिन सिर्फ 126 उम्मीदवारों ने रुचि दिखाई और प्रक्रिया पूरी की। इस अवसर पर कई नव नियुक्त चिकित्सकों ने राज्य सरकार की अनुबंध आधारित नीति की सराहना की और कहा कि यह कदम उन्हें सेवा का अवसर देने के साथ-साथ राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में सहायक सिद्ध होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड में वर्तमान में करीब 37,000 डॉक्टरों की आवश्यकता है, जबकि सिर्फ 7500 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। इनमें भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति बेहद गंभीर है — 1200 पदों के विरुद्ध मात्र 300 विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार, प्रत्येक 1000 नागरिकों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, जबकि झारखंड में एक डॉक्टर पर औसतन 3000 मरीजों का बोझ है। राज्य सरकार ने चिकित्सकों की इस कमी को दूर करने के लिए अनुबंध आधारित नियुक्तियों को त्वरित समाधान के रूप में अपनाया है। आने वाले समय में और भी विशेषज्ञों की नियुक्ति की संभावना जताई गई है।

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