रांचीः झारखंड की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने विनय चौबे पर अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को करीब 38 करोड़ रुपए की चपत पहुंचाने का आरोप लगाया है। सीबी के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि यह कार्रवाई उत्पाद और मद्य निषेध विभाग में एजेंसियों के चयन में पद का दुरुपयोग करने के मामले में की गई है। जांच एजेंसी के अनुसार आईएएस विनय चौबे ने विभाग में एजेंसियों के चयन में निर्धारित प्रक्रिया और प्रावधान का समुचित पालन नहीं किया। विनय चौबे ने आपराधिक मिलीभगत कर सरकार के साथ जालसाजी और धोखाधड़ी कर सामूहिक अपराध और अनैतिक लाभ पहुंचाया। जिसके कारण राज्य सरकार को करीब 38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एसीबी ने इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग से विनय चौबे के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी। निगरानी विभाग से अनुमति मिल जाने के बाद इस मामले में निगरानी ब्यूरो में कांड संख्या 09/25, दिनांक 20 मई 2025 के तहत केस दर्ज किया गया। इस मामले में भादवि की धारा 420, 467, 468, 471, 409 और 109, बीएनएस की धारा 318, 336, 340, 316, 45 और पीसी एक्ट 1988 के तहत केस दर्ज किया गया। इस पूरे मामले में आईएएस विनय चौबे के अलावा उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को एसीबी के अधिकारियों ने करीब छह घंटे तक आमने-सामने कर पूछताछ की। शाम में करीब पांच बजे दोनों अधिकारियों को रांची स्थित एसीबी की विशेष अदालत में पेश किया गया। जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। आईएएस विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह मामला वर्ष 2022 में झारखंड में बनी नई शराब नीति से जुड़ा है। जांच एजेंसी का आरोप है कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर राज्य में नई शराब नीति तैयार की, जिससे झारखंड को नुकसान उठाना पड़ा।
