रांची : रांची के रिंग रोड स्थित एक निजी अस्पताल में डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 2.5 लाख रुपये का बिल थमा दिया। बिल का भुगतान न कर पाने पर चतरा की रहने वाली कविता कुमारी को अस्पताल ने तीन दिनों तक डिस्चार्ज नहीं किया। इस दौरान महिला को न घर लौटने दिया गया और न ही परिजन शव को देख सके। चतरा जिले के लावालौंग प्रखंड के रुगुद गांव की कविता कुमारी डिलीवरी के लिए पति के साथ रांची आई थीं। परिवार पहले ही इलाज के लिए 50 हजार रुपये खर्च कर चुका था। डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत के बाद अस्पताल ने 2.5 लाख का बिल दे दिया। विकलांग पति के पास पैसे नहीं थे, अस्पताल ने कहा- पहले बिल भरो, तभी डिस्चार्ज मिलेगा। इस बीच कविता तीन दिनों तक अस्पताल में रुकी रही। मामले की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन को मिली। चतरा जिला प्रभारी शंकर साहू की सूचना पर संगठन ने पहल की। राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह और महासचिव संजय सुमन के हस्तक्षेप पर अस्पताल प्रबंधन ने 2.45 लाख रुपये माफ कर दिए और 5 हजार रुपये लेकर महिला को एंबुलेंस से घर भेजा गया। यह घटना राज्य में गरीब मरीजों को लेकर अस्पतालों की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर रही है।
