रांची। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान—”मोदी जी महात्मा गांधी के विचारों पर नहीं चलते”—ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस बयान को महज व्यक्तिगत राय न मानते हुए विपक्षी नेताओं ने इसे भाजपा की असली विचारधारा का “खुला कबूलनामा” करार दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी दलों का कहना है कि यह वही भाजपा है जिसने संसद में नाथूराम गोडसे को “देशभक्त” कहने वालों को संरक्षण दिया था। और अब उनके सांसद खुलेआम यह कह रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के विचारों पर नहीं चलते। इससे बड़ा विचारधारा का पर्दाफाश और क्या हो सकता है? विपक्ष का सवाल है सीधा: “अगर प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के रास्ते पर नहीं चल रहे, तो फिर वे किस रास्ते पर चल रहे हैं? क्या वही रास्ता, जिसने बापू की हत्या की सोच को जन्म दिया था?” कांग्रेस नेता डॉ. तनुज खत्री ने इस बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि भारत का संविधान और उसकी आत्मा महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर टिकी है। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी ने इस देश को सत्य, अहिंसा और लोकतांत्रिक संवाद की राह दिखाई थी। अगर देश का प्रधानमंत्री उस राह पर नहीं चल रहा है, तो यह केवल लोकतंत्र नहीं, बल्कि देश की आत्मा के लिए भी खतरे की घंटी है।” डॉ. खत्री ने कहा कि भाजपा का यह दोहरा चरित्र अब जनता के सामने आ चुका है। एक ओर वह गांधी जी की प्रतिमाओं पर माला चढ़ाती है, दूसरी ओर उनके विचारों का सार्वजनिक रूप से अपमान करती है। राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है कि क्या निशिकांत दुबे का बयान भाजपा की नीति का हिस्सा है या एक सुनियोजित बयानबाज़ी? लेकिन जो भी हो, यह स्पष्ट है कि इस बयान ने भाजपा के वैचारिक झुकाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष ने साफ किया है कि देश महात्मा गांधी के विचारों पर चलता है, और वे किसी भी विचारधारा को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो उस विरासत को मिटाने की कोशिश करे।
