रांची : प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के राजू ने कहा है कि पेसा लागू करने के लिए झारखंड राज्य पंचायती अधिनियम में सुधार करना आवश्यक है. नया कानून बनाने से पहले ग्रासरूट लेबल पर जाकर सुझाव लें. महत्वपूर्ण सुझावों को समाहित करते हुए ड्राफ्ट में सुधार करें. झारखंड में पेसा लागू होने में पहले से 29 वर्ष विलंब हो चुका है. यहां लागू होने वाला पेसा कानून देश के दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बनेगा. इसलिए कोई हड़बड़ी न करें. श्री राजू गुरुवार को पंचायती राज विभाग के संशोधित औपबंधिक पेसा नियमावली 2024 के ड्राफ्ट पर रांची के एक होटल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में विचार रख रहे थे. श्री राजू ने कहा कि राज्य में पेसा लागू करने से पहले दूसरे राज्यों में लागू प्रावधानों का अध्ययन करें. उनके अनुभवों का लाभ उठायें. वन अधिकार अधिनियम भी इसमें शामिल करें. पेसा की मूल भावना पारंपरिक ग्रामसभा को शासन देना है. इसमें कोई हिचक नहीं होनी चाहिए. भूमि अधिग्रहण में ग्रामसभा की सहमति जरूरी है. आदवासियों पर भरोसा करें. वह अपने विकास के लिए सोचने में सक्षम हैं. अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं.
सबकी भावनाओं का ख्याल रखा जायेगा : मौके पर विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि पेसा में राज्य व गांव के संसाधानों को अलग-अलग करना है. जनजातीय स्वभाव को कायम रखने के लिए कानून बनाया गया है. अबुआ सरकार राज्य के आम लोगों की सरकार है. सबकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही राज्य में पेसा लागू किया जायेगा. जेवियर कुजूर ने कहा कि राज्य में लागू खनन, भूमि अधिग्रहण के नियमों में व्यापक बदलाव की जरूरत है. इतिमल कंडुलना ने कहा कि ग्रामसभा को शक्तियां नहीं दी जा रही है. ड्राफ्ट फर्जी ग्रामसभा की नींव डालने जैसा है. दीपक बाड़ा ने ड्राफ्ट को संकुचित मानसिकता से तैयार किया गया बताया. कार्यशाला में सुरेश चंद्र सोरेन, एलिना होरो, जेम्स हेरेंज, परमानंद सोरेन, सुषमा असुर व सुधीर पाल ने भी विचार रखे.
