रांची : झारखंड हाईकोर्ट में पैनम कोल माइंस के कथित अवैध खनन और रॉयल्टी बकाया को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पैनम कोल माइंस की संपत्ति की कुर्की-जब्ती के आदेश को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दुमका के सर्टिफिकेट ऑफिसर द्वारा जारी कुर्की आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करने को कहा, साथ ही बंगाल के वर्धमान जिले के एसपी को झारखंड पुलिस को कार्रवाई में सहयोग देने का निर्देश भी दिया। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 अगस्त तय की है। कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया कि पैनम कोल माइंस पर कोयला खनन के एवज में 118 करोड़ रुपये की रॉयल्टी बकाया है। दुमका के सर्टिफिकेट ऑफिसर ने कंपनी के खिलाफ वारंट और कुर्की का आदेश पहले ही जारी कर दिया है। मामले की पृष्ठभूमि यह है कि झारखंड सरकार ने दुमका और पाकुड़ जिलों में कोयला खनन के लिए पैनम माइंस को लीज पर जमीन दी थी। आरोप है कि कंपनी ने लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए तय सीमा से अधिक मात्रा में कोयला खनन किया, जिससे राज्य सरकार को 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। इस मामले की जांच भी कराई गई थी, जिसमें अवैध खनन और राजस्व हानि की पुष्टि हुई। बावजूद इसके सरकार ने अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने कोर्ट को बताया कि पैनम माइंस के प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को न तो पुनर्वास की सुविधा मिली और न ही अन्य मौलिक सहूलियतें। इसके चलते स्थानीय लोगों में असंतोष है और पर्यावरणीय नुकसान भी सामने आए हैं।
