रांची। गोड्डा के आदिवासी नेता सूर्य नारायण हांसदा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को फर्जी एनकाउंटर बताते हुए शनिवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने भारी बारिश के बीच राजधानी रांची में आकोश मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए घटना की सीबीआई जांच, दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई और मृतक परिवार को मुआवजा व सुरक्षा देने की मांग की। प्रदर्शनकारी जिला स्कूल मैदान में एकत्र हुए और जुलूस के रूप में नारेबाजी करते हुए राजभवन पहुंचे। सूर्य नारायण हांसदा के फर्जी एनकाउंटर की सीबीआई जांच कराई जाए। आदिवासी संगठनों का कहना है की हत्या में शामिल पुलिस अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। सरकार, हांसदा द्वारा संचालित विद्यालय के बच्चों की शिक्षा और देखरेख की जिम्मेदारी उठाए। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि यह मामला किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज की गरिमा और न्याय की लड़ाई है। यदि निर्दोष की हत्या को प्रशासनिक संरक्षण दिया जाएगा तो समाज का लोकतंत्र और न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा। जगलाल पहान ने कहा कि सूर्य नारायण हांसदा सदैव आदिवासी समाज की आवाज उठाते थे तथा सरकारी मशनरी एवं माफियाओं द्वारा किए जा रहे गैर कानूनी कार्यों, अन्याय,शोषण, जुल्म का हमेशा विरोध करते थे,वह हमेशा आदिवासी हक,अधिकार,शिक्षा, भूमि सुरक्षा,युवाओं के भविष्य, रोहिंग्या मुसलमानो के शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे l समाज में उनकी छवि एक स्वच्छ नेता,एक जननायक की थी परंतु उनके संघर्ष और जन समर्थन से घबराकर प्रशासन और कुछ प्रभावशाली तत्वों की मिलीभगत से उन्हें एक षड्यंत्र के तहत फर्जी मुठभेड़ दिखाकर मौत के घाट उतार दिया गया। ट्राई फर्स्ट के संयोजक आरती कूजूर ने कहा कि यह घटना न केवल मानव अधिकार का उल्लंघन है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी गहरा आघात है यह आदिवासी संस्कृति के जड़ों पर कुठाराघात भी है l पूरे आदिवासी मूलवासी, झारखंड समाज इस फर्जी एनकाउंटर का विरोध करती है । मुख्य रूप से पूर्व विधायक रामकुमार पहान ,केन्द्रीय सरना समिति अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पहान श्री जगलाल पहान, महादेव टोप्पो, सुरेन्द्र लिंडा, आरती कूजूर, रितेश उरांव,संदीप उरांव,सोमा उरांव,रवि मुंडा, रितेश रंजीत उरांव,उरांव, बिरसा पहान, अरूण पहान,उदय मुंडा, प्रेम लिंडा,चिकू लिंडा, आशीष मुंडा, मुकेश मुंडा, विशाल मुंडा, संतोष मुंडा, अनीता गाड़ी, आदि सैकड़ो की संख्या में आदिवासी समाज के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
