रांची के धुर्वा क्षेत्र की नीलांचल पहाड़ी पर स्थित जगन्नाथपुर मंदिर झारखंड की धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक गौरव और सामाजिक समरसता की प्रतीक है. 1691 ई. में नागवंशी राजा एनीनाथ शाहदेव द्वारा स्थापित यह मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसी विरासत है जो झारखंड की जनजातीय संस्कृति, नागवंशी शासन की दूरदृष्टि और समावेशी परंपराओं को आज भी जीवंत रखे हुए है. यह मंदिर ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनी है, लेकिन इसकी आत्मा झारखंड की मिट्टी और लोक परंपराओं से गहराई से जुड़ी है.
भक्तों की आँखों में आस्था, हाथों में पुष्प, और ह्रदय में उमड़ा भाव जब रथ पर सवार भगवान के दर्शन होते हैं, तो हर भक्त बस यही कह उठता है-“जय जगन्नाथ!”
देखिए कैसे झारखंड की धरती पर उमड़ा श्रद्धा का सागर…
