माता-पिता बेचते हैं सब्जी, बेटा बना डीएसपी

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हजारीबाग : बड़कागांव प्रखंड के गंगादोहर गांव के रोबिन कुमार ने जेपीएससी में 7वां स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया। साधारण किसान परिवार से आने वाले रोबिन ने सरकारी स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई और मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया। हजारीबाग के एक लॉज में रहकर सिविल सेवा की तैयारी की। 2020 में इंटरव्यू तक पहुंचे पर चयन नहीं हो सका, हार नहीं मानी और पांच वर्षों तक निरंतर मेहनत जारी रखी। इस बार संघर्ष रंग लाया और रोबिन ने टॉप 10 में जगह बनाई। अब वे झारखंड पुलिस में डीएसपी के रूप में सेवा देंगे। पिता नहीं हैं, मां ने रसोइया का काम कर बनाया अफसर हजारीबाग के बरकट्ठा के केंदुआ गांव निवासी राजेश रजक ने साबित किया कि कठिन परिस्थितियां भी राह नहीं रोक सकतीं। उनकी मां जानकी देवी स्कूल में मिड-डे मील की रसोइया हैं। पिता का निधन होने के बाद मां ने संघर्ष कर पढ़ाया। राजेश ने गांव के स्कूल से पढ़ाई कर 2019 में स्नातक पूरा किया। रांची में रहकर जेपीएससी की तैयारी की और दूसरे प्रयास में सफलता पाई। उनका चयन जेल अधीक्षक के पद पर हुआ है। राजेश कहते हैं, मोबाइल से दूर रहकर स्वाध्याय और अनुशासन ही सफलता की कुंजी है, मेहनत से कुछ भी संभव है। किसान के बेटे ने विदेश से लौटकर पाई सफलता पलामू के किसान परिवार से आने वाले उज्ज्वल कुमार ने जेपीएससी में 46वीं रैंक हासिल की। किसान दीपक कुमार के बेटे उज्ज्वल ने गांव के स्कूल से पढ़ाई कर रांची और कोलकाता में उच्च शिक्षा ली। इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी से बीटेक के बाद अमेरिका में चार साल मेरीन इंजीनियर रहे। लेकिन लक्ष्य बड़ा था, 2021 में नौकरी छोड़ी और जेपीएससी की तैयारी में जुट गए। पहली बार में मेंस तक पहुंचे, फिर और मेहनत की। इस बार शानदार सफलता मिली। उज्ज्वल का कहना है, धैर्य और निरंतर प्रयास ही सफलता का मंत्र है। छोटे कारोबारी की बिटिया भी बन गई अफसर लातेहार की मनीषा गुप्ता ने जेपीएससी में 86वीं रैंक प्राप्त कर जिले और परिवार का नाम रोशन किया। छोटे व्यवसायी विनोद कुमार की बेटी मनीषा ने बालूमाथ के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पाई। दसवीं रांची के लोयला कॉन्वेंट और 12वीं डीएवी कपिल देव, श्यामली से पूरी की। स्नातक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी से किया। मनीषा ने कड़ी मेहनत और नियमितता के बल पर यह सफलता प्राप्त की। अब वे झारखंड प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनेंगी। मनीषा का कहना है कि लक्ष्य तय कर मेहनत करने से सफलता निश्चित है, परिस्थिति कैसी भी हो। गांव में बिजली न स्कूल, संघर्ष से पाई सफलता सरायकेला-खरसावां जिले के कसराउली गांव के किसान परिवार से आने वाले नीरज कांडिर ने जेपीएससी में 270वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना पूरा किया। जंगल और पहाड़ की तलहटी में बसे उनके गांव में स्कूल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पढ़ाई के लिए चक्रधरपुर में रिश्तेदारों के घर रहना पड़ा। सीमित संसाधनों में भी नीरज ने कड़ी मेहनत कर पहले प्रयास में सफलता पाई। नीरज ने कहा, गांव के कठिन हालात ने उन्हें मजबूत बनाया और दृढ़ निश्चय से अफसर बनने की राह तय की। पापा की किताब की छोटी दुकान, बन गए सिविल सर्वेंट हजारीबाग शहर के बुढ़वा महादेव मंदिर के सामने किताबों की छोटी सी दुकान चलाने वाले अनिल प्रसाद के बेटे अमन कुमार ने जेपीएससी में 22वीं रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। पिता की किताबों की दुकान ही अमन की पढ़ाई का आधार बनी। अमन ने कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद सिविल सेवा में जाने का सपना देखा और मेहनत से इसे पूरा किया। आज उनके घर में जश्न का माहौल है। अमन का मानना है कि लगातार अध्ययन, आत्मविश्वास और संयम से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। दर्जी पिता का पुत्र बना अफसर चतरा के सिमरिया प्रखंड के कसारी गांव के मोहम्मद खुर्शीद अंसारी ने झारखंड प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2023 में 78वीं रैंक हासिल कर जिले और गांव का नाम रोशन कर दिया। कभी नक्सल प्रभावित रहे इस इलाके से अफसर बनना खुर्शीद का सपना था, जो संघर्षों के बीच पूरा हुआ। दर्जी पिता मोहम्मद हनीफ पिछले तीन साल से बीमार हैं और फिलहाल हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत हैं। रिजल्ट आने के वक्त खुर्शीद पिता के साथ अस्पताल में थे, जहां उन्हें सफलता की खबर मिली। मां हामिदा खातून सहिया दीदी हैं। आठ भाई-बहनों में सबसे छोटे खुर्शीद ने गांव के सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और हजारीबाग से आगे की पढ़ाई कर यह सफलता हासिल की।

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