पटना। चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे बिहार के युवाओं को बड़ी सौगात दी है। राज्य सरकार ने अब शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में लगभग 85 प्रतिशत सीटें बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित करने का फैसला लिया है। यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त संशोधन नियमावली 2025 को मंजूरी दी गई। कैबिनेट बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि बिहार में पहले से ही जातीय आधार पर 50% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण लागू है। बची हुई 40% अनारक्षित सीटों में से पहले ही 35% सीटें बिहार मूल की महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। अब संशोधित नियमों के तहत, बची हुई 65% सामान्य सीटों में से 40% सीटें उन अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित की जाएंगी, जिन्होंने बिहार के किसी बोर्ड से मैट्रिक या इंटर पास किया हो। इस प्रकार अब महज 15% सीटें ही बचेंगी, जिन पर बिहार और अन्य राज्यों के सामान्य वर्ग के पुरुष व महिलाएं आवेदन कर सकेंगे। डॉ. सिद्धार्थ के अनुसार, “यदि मान भी लिया जाए कि 10 से 15% अभ्यर्थी बिहार के बाहर से आते हैं, तब भी कुल बहाली में लगभग 84.4% सीटें बिहार के डोमिसाइल उम्मीदवारों के हिस्से में जाएंगी।” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला न केवल स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की नीति को मजबूत करता है, बल्कि चुनावी दृष्टि से भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है।
