देवघर : सावन में जहां कांवरिए भगवा वस्त्र पहन बाबा बैद्यनाथधाम जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, वहीं पश्चिम सिंहभूम के नरेंद्र राम ने रावण का रूप धरकर बाबा की नगरी में सबका ध्यान खींच लिया। सिर पर रावण का मुकुट, शरीर पर रावण की पोशाक और हाथ में शिवलिंग लेकर वे सुल्तानगंज से पैदल बाबा धाम पहुंचे। उनकी इस अनूठी भक्ति को देखकर राह चलते लोग ठिठक गए। कई श्रद्धालुओं ने उनके साथ सेल्फी ली, आशीर्वाद लिया । नरेंद्र राम का मानना है कि रावण सिर्फ राक्षस नहीं था, बल्कि भगवान शिव का परम भक्त था। वे वर्षों से सावन में रावण की वेशभूषा में सुल्तानगंज से देवघर तक पैदल यात्रा कर रहे हैं। उनका उद्देश्य लोगों को यह याद दिलाना है कि रावण ने शिवभक्ति में अपने शीश चढ़ा दिए थे। नरेंद्र कहते हैं, “रावण की भी एक भक्ति से भरी कहानी है, जिसे लोग भूल जाते हैं। मैं उसी भक्ति को जीवंत कर रहा हूं।”चाईबासा के जाने-माने रंगकर्मी नरेंद्र राम दशकों से महिषासुर मर्दिनी नृत्य नाटिका में रावण की भूमिका निभाते आ रहे हैं। मंच पर उनके संवाद, हावभाव और अभिनय की गूंज ऐसी होती है कि लोग उन्हें मंझा हुआ कलाकार मानते हैं। अब उसी किरदार में वे शिवभक्ति की अलख जगाने बाबा धाम पहुंचे हैं।सावन के इस पावन अवसर पर नरेंद्र राम की यह यात्रा धार्मिक आस्था और कला का अनूठा संगम बन गई है। यह यात्रा यह संदेश देती है कि हर किरदार के भीतर भक्ति और अच्छाई की छुपी हुई कहानी होती है। रावण के वेश में बाबा धाम आकर नरेंद्र राम ने यह भी दिखाया कि भक्ति किसी रूप की मोहताज नहीं होती।देवघर पहुंचने के बाद उन्होंने कहा, “बाबा बैद्यनाथ का आशीर्वाद लेने से पहले मैं शिवभक्त रावण को याद करता हूं। उसकी भक्ति हमें यह सिखाती है कि अहंकार और गलतियों के बावजूद अगर भक्ति सच्ची हो, तो भगवान उसकी भी सुनते हैं।”श्रद्धालुओं ने नरेंद्र राम की इस यात्रा को अद्भुत भक्ति यात्रा बताते हुए कहा कि यह पहल सावन में शिवभक्ति की गहराई को और बढ़ाती है।
