रांची : देवघर श्रावणी मेले के दौरान बाबा बैजनाथ की पूजा कर लौट रहे 6 कांवड़ियों की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई। मंत्री इरफ़ान ने मृतक कांवड़ियों के परिजनों को मात्र एक लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। इस निर्णय पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कड़ी आपत्ति जताई है। सरकार पर “आस्था का अपमान” और “तुष्टीकरण की राजनीति” करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब किसी समुदाय विशेष की मौत होती है, तब सरकार तीन लाख तक मुआवजा देती है, लेकिन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक कांवड़ियों की मौत पर सरकार का रवैया संवेदनहीन है। उन्होंने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, “जब कांवरियों की सड़क हादसे में मौत होती है, तब सरकार सिर्फ एक लाख रुपए मुआवजा देती है। क्या एक कांवरिया की जान की कीमत आफताब अंसारी से भी कम है?” इस संबंध में सरकार की पोल खुल गई। स्वास्थ्य मंत्री जी जिसे मॉब लिंचिंग बता रहे थे उन्हीं के विभाग ने पोस्टमार्टम कर मौत को पानी में डूबने से बताया है। अब तो स्वास्थ्य मंत्री की डिग्री भी संदेह के घेरे में है। मरांडी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार धार्मिक आधार पर मुआवजा तय कर रही है और बहुसंख्यक समाज की आस्था से जुड़े श्रद्धालुओं की अनदेखी कर रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार सभी नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार करे और मृतकों के परिजनों को समान रूप से मुआवजा दे। राजनीतिक हलकों में मरांडी के इस बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है, वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।
