पीस डेस्क । सबसे पहले यह सवाल आता है कि आप कौन हैं ? अगर मनुष्य की जिंदगी को देखा जाए – आप सभी लोग एक काम प्रतिदिन करते हैं और वह काम है अपनी समस्याओं से उबरने का। क्योंकि जैसे ही मनुष्य सबेरे उठता है, अगर कोई समस्या है तो उसका ध्यान करता है। भगवान का बाद में होगा, पहले – ‘‘क्या करना है ? ये करना है, वो करना है।’’ अब अगर किसी के घर में शादी है और सारी तैयारियां हो रही हैं और ‘‘ये ठीक नहीं है, वो ठीक नहीं है! ये नहीं हुआ, वो नहीं हुआ।’’ तो ध्यान जाएगा उन समस्याओं को हल करने में।
संसार के बड़े-बड़े लोग भी अपनी समस्याओं का ध्यान करते हैं। कोई व्यक्ति ऐसा है जिसके पास खाने के लिए कुछ नहीं है उसकी समस्या क्या है ? भूख लगी है, खाना कहां से आएगा! उसका भी ध्यान उसकी समस्याओं में जाता है।
समस्या हमारा बहुत समय खाती है। ये समस्याएं आईं कहां से ? अब इस प्रश्न के भी दो उत्तर हो सकते हैं। एक तो यह कि ‘‘भगवान ने बनाया समस्याओं को।’’ बहुत सारे लोग हैं, जो भगवान को दोषी ठहराते हैं कि भगवान ने ही ये समस्याएं बनाईं हैं। खुशखबरी तो यह है कि जिन समस्याओं से आप भाग रहे हैं, वो भगवान की बनाई हुई नहीं है, वो मनुष्य की बनाई हुई है। यह खुशखबरी है! क्योंकि अगर भगवान की बनाई होती तो बहुत ही मुश्किल होता उसको बदलना! परंतु मनुष्य की बनाई हुई है, तो वो बदली जा सकती है।
जब जवान होते हैं लोग – यह अहसास नहीं होता है कि पता नहीं कितने साल जीएंगे! सौ साल भी अगर आप जीओ तो कितने दिन बनते हैं ? 36,500 – ज्यादा नहीं हैं! जिंदगी कीे रेलगाड़ी चल रही है, चल रही है, चल रही है और इसमें से एक न एक दिन निकलना है। परंतु अब तक जो आपने जिंदगी जी है, क्या जाना आपने ? क्या पहचाना आपने ? अपने आपको समझ पाए या नहीं ?’’
कौन हैं आप ? क्या हैं आप ? जबतक आप इस बात को पूरी तरीके से समझ नहीं पायेंगे, आपके जीवन में आनंद कहां से आएगा ? अब लोग कहते हैं, ‘‘शांति क्या है ?’’ मनुष्य को यह नहीं मालूम कि ‘‘शांति क्या है ?’’ इसका कारण है कि वो समझता है कि अगर उसकी समस्याएं हल हो जाएं तो वही शांति है। अगर किसी मां का बेटा खो जाए, तो उसको दुख होगा ही! अगर उससे पूछा जाए कि शांति क्या है ? तो वह क्या कहेगी ? ‘‘मेरा बेटा मिल जाए तो शांति मिल जाएगी।’’
किसी की नौकरी नहीं लग रही है, उससे पूछा जाए – शांति क्या है ? ‘‘मेरी नौकरी लग जाए, मैं शांत हो जाऊंगा।’’
कभी सुख, कभी दुख! और वही सुख, जिसको आप सुख समझते थे, वही दुख बन जाता है!
मैं आपको आपसे मिला सकता हूं, ताकि आप समझ जायें कि यह जो आपको मौका मिला है जीने का – और चीजों का मौका नहीं मिला है। मौका मिला है सिर्फ जीने का और जबतक आप जीवित हैं, तबतक आप क्या कर सकते हैं! अगर आपने अपने जीवन में शांति को अपनाया, शांति का अनुभव किया तो आपकी जिंदगी हरी-भरी हो जाएगी। इसका मतलब यह नहीं है कि इस जीवन के अंदर समस्याएं नहीं आएंगी। समस्याएं तो आएँगी पर आपके पास उन समस्याओं से निकलने का रास्ता होगा।
प्रेम रावत जी एक अंतरराष्ट्रीय वक्ता, न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलिंग लेखक, एजुकेटर और ग्लोबल पीस एंबेसडर हैं। आज उनका संदेश 110 से अधिक देशों में सुना जाता है, जहाँ वे हर व्यक्ति को आशा और शांति का संदेश देकर आंतरिक सुख और शांति का व्यावहारिक मार्ग दिखा रहे हैं।
उनके कार्यों को दुनिया भर में सराहना मिली है, जिसमें (1) एक लेखक द्वारा अपनी पुस्तक (“स्वयं की आवाज“) पढ़ने में सबसे अधिक उपस्थिति (114,704 लोग) के लिए, (2) एक सम्बोधन में सबसे अधिक दर्शको की संख्या (375,603 लोग) के लिए और (3) ‘एक से अधिक लेखक पुस्तक वाचन’ में सर्वाधिक दर्शको की संख्या (1,33,234 लोग) के लिए, तीन गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड शामिल हैं। ये तीनों रिकॉर्ड 2023-25 में स्थापित किए गए।
