जेपी सेनानी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनि कुमार चौबे को जेपी सेनानी बिहार गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया

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बिहार: इंडिजिनस नोशन एंड डिस्कवरी ऑफ इन्हेरिट आर्ट संस्था द्वारा जेपी आंदोलन के 50 वें वर्ष में जेपी सेनानी बिहार गौरव सम्मान पटना के प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित की गई जिसमे भागलपुर, पटना सहित बिहार के 28 जे पी सेनानियों को सम्मानित किया गया। मुख्य रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को बिहार गौरव सम्मान से अलंकृत करने के उपरांत उनके कर कमलों से अन्य जे पी सेनानियों को भी सम्मानित किया गया।सर्वप्रथम अश्विनी चौबे ने लोकनायक जय प्रकाश नारायण सहित बलिदानी जे. पी. सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। चौबे ने कहा की जेपी के सम्पूर्ण क्रांति के नारे के उपरांत 1974 से 1976 तक लाखों छात्र युवा वर्ग सेनानी के रूप में इस आंदोलन का हिस्सा बने।

जेपी आंदोलन का मुख्य ध्येय राजनीति परिवर्तन के साथ संपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन का था जिसमे छात्रों ने आंदोलनरत रहते हुए लाठी गोली का सामना किया। कई आंदोलनकारी का बलिदान हो गया और कई तो भयंकर यातनाओं के शिकार हो गए और आज तक बीमार हैं। सेनानियों ने लोकतंत्र को बचाने के लिए इस समय के इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का विरोध राष्ट्रीय स्तर पर किया जो स्मरणीय है। चौबे ने बताया की पटना में आंदोलन के लिए बनाए गए स्टेरिंग समिति ने 17- 18 फरवरी 1974 को बिहार छात्र संघर्ष समिति का गठन किया गया जिसका महामंत्री उन्हे मनोनित किया गया और 18 मार्च 1974 को समिति द्वारा बिहार विधान सभा का घेराव और प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के आदेश पर बिहार पुलिस ने निहत्थे छात्रों पर गोलियां चलवाई जिसमे तीन छात्र की मौत हो गई। इसके बाद सरकार के खिलाफ छात्रों का राज्यव्यापी आंदोलन प्रारंभ हो गया। बाद में 30 मार्च 74 को जे पी ने इस छात्र आंदोलन को अपना नेतृत्व प्रदान करने की बात कही। चौबे ने बताया की उन्हे भी मीसा और डी आई आर के तहत जेल में कैद कर दिया गया था। फुलवरिशरीफ जेल के अंदर सरकार के आदेश से उन्हे जेलर और प्रशासन द्वारा लाठी डंडे से बेरहमी से पिटा गया और गर्म सलाखों से दागा गया और किडनी को लात जूतों से रौंदा गया जिससे वे मरणासन्न हो गए, जो अंग्रेजों द्वारा यातनाओं की याद दिलाती है।

चौबे ने कहा की वर्षों तक हीमेचुरीया का इलाज कराने के उपरांत भी मूत्र से रक्त आता था। इस आंदोलन के उपरांत 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी तक चुनाव हार गई और कांग्रेस की सरकार चली गई थी।कार्यक्रम में जे पी सेनानी रहे कुमार अनुपम, जयप्रकाश महंत, शंभू प्रसाद सिंह, अशोक यादव, किरण सिन्हा, इंदु शरण, वीशाल सिंह, महेशी विधायक गुंजेश्वर शाह, पूर्व विधान पार्षद माला सिन्हा, एनसीसी कमांडेंट अमित कुमार आदि को बिहार गौरव सम्मान 24 से अलंकृत किया गया।

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