पाकुड़ : प्रखंड मुख्यालय स्थित श्री 1008 बूढ़ा बाबा महेश्वरनाथ शिवमंदिर परिसर में श्रीरामनवमी अखाड़ा समिति की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्री श्री 108 संगीतमय राम आयोजित हुआ। कथा के दूसरे दिन शाम को कथावाचक रविशंकर ठाकुर ने प्रभू श्रीराम का परिचय बताते हुए उपस्थित महिला व पुरुष श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान श्री राम प्राचीन भारत में अवतरित भगवान हैं। हिन्दू धर्म में श्री राम, श्री विष्णु के 10 अवतारों में से सातवें अवतार हैं। भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहां तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इसलिए भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहलाए। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने हर काम एक मर्यादा में रहकर किया। भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा के घर में हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या और पिता का नाम दशरथ था। भगवान श्री राम के तीन भाई थे। श्री हनुमान भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। श्री राम और उनके तीनों भाई श्रीभरत, श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न ने गुरु वशिष्ट के गुरुकुल में शिक्षा पाई। चारों भाई वेदों, उपनिषदों के बहुत बड़े ज्ञाता बन गये। गुरुकुल में अच्छे मानवीय और सामाजिक गुणों का उनमे संचार हुआ। अपने अच्छे गुणों और ज्ञान प्राप्ति की ललक से वे सभी अपने गुरुओ के प्रिय बन गए। राम उस आस्था और विश्वास का नाम है, जो केवट को भी भव सागर पार करा देता है। इस कलियुग में राम नाम का स्मरण ही मोक्ष का एकमात्र साधन है। मौके पर राजहंस झा, रामनवमी अखाड़ा समिति के सदस्य तथा काफी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।
