रांची: झारखंड मंत्रालय में हुई ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल यानी टीएसी की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में 21 मई को हुई बैठक में भाजपा के दो विधायक बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन के अलावा अन्य सभी 17 सदस्य बैठक में मौजूद थे. करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई और इसे मंजूरी प्रदान की गई. टीएसी की बैठक में आदिवासी हितों पर चर्चा हुई है और इस विषय पर संबंधित विभागों को मसौदा तैयार करने को कहा गया है. दस्तावेज आने के उपरांत इस पर पूर्ण निर्णय लिए जाएंगे. ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में मेसा बिल 2021 के संशोधन पर चर्चा नहीं हो सकी. हालांकि कई अहम विषयों पर निर्णय लिए गए. बैठक की जानकारी देते हुए स्टीफन मरांडी ने कहा कि बैठक में वैसे ग्राम पंचायत क्षेत्र जहां 50% से अधिक आदिवासी की आबादी है, जिसे सरकार ने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय राजकीय तथा स्थानीय महत्व का पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है उनमें पर्यटन एवं राजस्व हित को ध्यान में रखते हुए खुदरा उत्पाद दुकानों की बंदोबस्ती की स्वीकृति पर सहमति जताई है.
स्टीफन मरांडी ने कहा कि राजस्व थाना क्षेत्र और पुलिस थाना क्षेत्र को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई है और इस संबंध में विभाग से रिपोर्ट मांगा गया है. 16 नवंबर 2023 को हुई पिछली बैठक की समीक्षा करते हुए टीएसी ने कई अहम प्रस्तावों पर सहमति प्रदान की है. गौरतलब है कि वर्तमान में टीएसी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं. कल्याण मंत्री चमरा लिंडा उपाध्यक्ष हैं. इसका अलावा बाबूलाल मरांडी, आलोक सोरेन, लुईस मरांडी, संजीव सरदार, चंपाई सोरेन, सोनाराम सिंकू, जगत मांझी, दशरथ गगराई, सुदीप गुड़िया, राम सूर्या मुंडा, राजेश कच्छप, जिगा सुसारन होरो, नमन विक्सल कोंगारी और रामचंद्र सिंह विधायक के रूप में टीएसी के सदस्य और जोसाई मार्डी और नारायण उरांव मनोनीत सदस्य हैं. बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि टीएसी के सुझाव पर सरकार निर्णय लेगी और आदेश जारी होगा. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन के द्वारा बैठक का बहिष्कार किए जाने पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब-जब यह विपक्ष में रहेंगे तब तब सरकार का विरोध करते रहेंगे. इसके साथ ही इन क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट और बार खोलने की स्वीकृति दी गई है. इसके अलावा पश्चिम सिंहभूम में खरकाई नदी पर प्रस्तावित ईचा डैम के निर्माण को पुनर्बहाल करने पर भी चर्चा हुई है.
टीएसी की बैठक में वन अधिकार योजना अंतर्गत ‘अबुआ बीर दिशोम’ अभियान के क्रियान्वयन पर चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि इसके तहत सुनिश्चित किया जाए कि हर 2 माह में वनपट्टा का वितरण अनिवार्य रूप से हो. वनपट्टा के लिए प्राप्त आवेदनों के अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए स्वीकृति प्रक्रिया अविलंब पूरी किए जाने पर सहमति बनी.
इसके अलावा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम यानी सीएनटी की धारा 46 के अंतर्गत थाना क्षेत्र की परिभाषा में स्पष्टता लाने के लिए प्रस्ताव पर बिंदुवार चर्चा हुई. सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा 1938 के निर्धारित थाना क्षेत्र के आधार पर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए विभाग एक प्रस्ताव तैयार करे और इस संबंध में एक आयोग का गठन किया जाए. यह आयोग 6 महीने के भीतर सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए एक प्रतिवेदन टीएसी को समर्पित करेगी.
