साहेबगंज : वीर सिदो-कान्हू ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संताल हूल की शुरुआत की थी, जिसमें हजारों आदिवासियों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। लेकिन क्या उन्होंने कभी सोचा होगा कि उनके ही वंशजों को, उन्हीं के गांव में हूल दिवस मनाने से रोका जाएगा? वीर सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि उनकी संस्था ‘सिदो-कान्हू हूल फाउंडेशन’ और ‘आतो मांझी वैसी भोगनाडीह’ द्वारा 30 जून को प्रस्तावित हूल दिवस कार्यक्रम को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है।मीडिया से बात करते हुए मंडल मुर्मू ने कहा, “हमारे पूर्वजों ने इस धरती के लिए बलिदान दिया। भोगनाडीह में जो पार्क और स्टेडियम बना है, वह हमारी ही पैतृक जमीन पर बना है। ऐसे में हमें वहां कोई भी कार्यक्रम करने के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “यह इलाका पाँचवी अनुसूची क्षेत्र में आता है। हमें ग्राम प्रधान से लिखित अनुमति प्राप्त है। फिर प्रशासन हमें कार्यक्रम करने से कैसे रोक सकता है?”
मंडल मुर्मू ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब सरकार शहीदों के लिए कुछ नहीं कर पाई, तो उन्हें रोकने का भी कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने पूछा कि जब उलीहातु में बिरसा मुंडा की जयंती पर, खरसावां में शहीद दिवस पर, और जमशेदपुर में निर्मल महतो की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम बिना रोक-टोक हो सकते हैं, तो भोगनाडीह में एक सामाजिक संस्था का सांस्कृतिक आयोजन क्यों रोका जा रहा है? गौरतलब है कि हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह में ‘सिदो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन’ और ‘आतो मांझी वैसी भोगनाडीह’ द्वारा एक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और पूर्व मंत्री लोबिन हेम्ब्रम मुख्य अतिथि होंगे। कार्यक्रम में पारंपरिक ग्राम प्रधानों समेत आदिवासी समाज के हजारों लोगों के जुटने की संभावना है।
