रांची : राज्य में नई उत्पाद नीति को लागू करने की प्रक्रिया में देरी ने शराब की उपलब्धता पर गहरा असर डाला है। एक जुलाई से नई नीति लागू होनी थी, लेकिन लॉटरी प्रक्रिया और अन्य आवश्यक औपचारिकताओं के पूरा न होने के कारण शराब की खुदरा बिक्री प्रभावित हुई है। वर्तमान नीति के तहत 30 जून को शराब की बिक्री बंद हो चुकी है और नई नीति के तहत दुकानों की बंदोबस्ती अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। झारखंड में नई उत्पाद नीति लागू होने की प्रक्रिया ने राज्य में अघोषित शराबबंदी जैसी स्थिति पैदा कर दी है। पड़ोसी राज्य बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी के बाद अवैध शराब का कारोबार पहले ही बढ़ चुका है। राज्य में भी नई नीति के तहत शराब की बिक्री पर अस्थायी रोक ने जमाखोरों और अवैध धंधेबाजों को मुनाफाखोरी का सुनहरा अवसर दे दिया है।नई नीति के तहत खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती से पहले राज्यव्यापी ऑडिट और हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया के कारण शराब की आपूर्ति बाधित हो रही है। परिणामस्वरूप बार और रेस्तरां में शराब का भंडार सीमित हो गया है, जिसका फायदा उठाकर जमाखोर मनमानी कीमतों पर शराब बेच रहे हैं। इस बीच, झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से शराब की बिक्री जारी रखने की घोषणा की गई, लेकिन जिला स्तर पर स्पष्ट निर्देशों के अभाव में दुकानें बंद हैं। ऑडिट प्रक्रिया के कारण शराब की आपूर्ति रुकी हुई है, जिससे बाजार में शराब की कमी हो गई है। शराब की कमी का फायदा उठाकर जमाखोरों और अवैध धंधेबाजों ने बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। स्थिति का आकलन कर पहले से ही शराब का स्टॉक जमा करने वाले ये लोग अब मनमानी कीमतों पर शराब बेच रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर शिकायतें सामने आई हैं। बिहार में शराबबंदी के कारण पहले से ही झारखंड से अवैध शराब की आपूर्ति हो रही थी और अब अघोषित शराबबंदी ने इस कारोबार को और बढ़ावा मिलने की संभावना है।
