रांची : बिहार के बाद अब झारखंड में भी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारी है। इसे लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है। राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद के सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसके खिलाफ 4 अगस्त को विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजने का फैसला किया है। दूसरी तरफ भाजपा और जदयू के नेताओं ने कहा है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया है। इसका विरोध बेतमलब है। बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सत्तारूढ़ दलों की संयुक्त बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई और तय किया गया कि विधानसभा में इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किया जाएगा। बैठक में कांग्रेस, झामुमो और राजद सहित सहयोगी दलों ने स्पष्ट किया कि एसआईआर को किसी भी हाल में झारखंड में लागू नहीं होने दिया जाएगा। हेमंत सोरेन ने कहा कि “हम झारखंड की जनता के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव संघर्ष करेंगे।” दूसरी तरफ गुरुवार को विधानसभा में सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए भाजपा और जदयू के नेताओं ने कहा कि एसआईआर का विरोध क्यों किया जा रहा है, यह समझ से परे है। यह तो चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह फर्जी वोटरों को चुनाव की प्रक्रिया से दूर करे। डॉ. इरफान अंसारी बोले— मुस्लिम, आदिवासी, दलित वोटरों को बाहर करना चाहती है भाजपा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इसे भाजपा की सुनियोजित चाल बताया और कहा कि “भाजपा जानती है कि इन तबकों के वोट उसे नहीं मिलते, इसलिए यह साजिश रची जा रही है।” उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सदन से सड़क तक लड़ी जाएगी और जल्द ही महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। दीपिका पांडे का केंद्र पर निशाना— जीएसटी की तरह एसआईआर भी बिना सलाह के थोप रहे हैं ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि “राहुल गांधी पहले ही चेताते हैं, और हर बार केंद्र सरकार को यू-टर्न लेना पड़ता है। एसआईआर भी उसी कड़ी का हिस्सा है। यह जीएसटी की तरह बिना राज्यों की राय के थोपने की कोशिश है।” राजेश कच्छप बोले— आधार से वोटर कार्ड लिंक हो, आयोग जानबूझकर नहीं कर रहा कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने कहा “आधार सबसे विश्वसनीय पहचान पत्र है, लेकिन आयोग उसे वोटर पहचान के लिए मान्यता नहीं दे रहा। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए एसआईआर को हथियार बनाया जा रहा है।” सरयू राय और भाजपा का पलटवार— फर्जी वोट रोकने के लिए जरूरी है एसआईआर इस बीच निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एसआईआर का समर्थन करते हुए कहा कि “चुनाव आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराना है और एसआईआर उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।” भाजपा विधायक सतेंद्र तिवारी ने कहा कि “इंडिया गठबंधन को हार का डर सता रहा है, इसलिए एसआईआर का विरोध कर रही है। यह राष्ट्रव्यापी व्यवस्था है, इसे साजिश कहना बेतुका है।”
