साहिबगंज (उधवा) : साहिबगंज जिले के उधवा प्रखंड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार संथालिया ने न्यू पूजा मेडिकेयर क्लिनिक की जांच कर उसे अवैध पाते हुए तत्काल बंद करने का निर्देश दिया था। लेकिन प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए महज कुछ घंटे बाद ही यह क्लिनिक पूर्व की तरह संचालित होता देखा गया।
जहां एक ओर सिविल सर्जन ने जांच टीम के साथ मिलकर क्लिनिक को बंद करने के आदेश दिए, वहीं दूसरी ओर शाम होते-होते क्लिनिक खुल गया और मरीजों की भीड़ भी उमड़ पड़ी। शुक्रवार को भी क्लिनिक में इलाज जारी रहा, जिससे यह साफ होता है कि सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश के बाद भी क्लिनिक बिना किसी डर के चलता रहा हो। सूत्रों के अनुसार, उधवा क्षेत्र में 100 से ज्यादा अवैध क्लिनिक और आधा दर्जन से अधिक अवैध पैथोलॉजी बिना लाइसेंस या अपूर्ण दस्तावेजों के संचालित हो रहे हैं।
कमाई का खेल, जांच का बहाना
इन झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बिना कारण 10-15 तरह की जांच लिख दी जाती है, जिसे आसपास के ही अवैध पैथोलॉजी में कराया जाता है। हर जांच पर डॉक्टरों को 40-70% तक कमीशन मिलता है। इलाज कम, लूट ज्यादा – यही है इन अवैध क्लिनिकों की असली कहानी।
प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
पिछले मामलों की तरह इस बार भी कार्रवाई सिर्फ कागजों पर सीमित नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो बड़े पैमाने पर पैरवी, राजनीतिक संरक्षण और अंदरूनी सेटिंग के कारण कई अधिकारी इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने से कतराते हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?
ड्रग इंस्पेक्टर चंदन कुमार कच्छप ने कहा है कि न्यू पूजा मेडिकेयर की जांच की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार संथालिया ने दोबारा जांच कर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
लेकिन बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है — आदेश तो दिए जाते हैं, पर क्या उन पर कार्रवाई भी होती है? और अगर नहीं होती, तो आखिर प्रशासन की नाक के नीचे इन अवैध क्लिनिकों को खुला क्यों छोड़ दिया जाता है?
