नई दिल्ली: झारखंड के डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद डीजीपी अनुराग गुप्ता को बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अनजारिया की पीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार का विशेषाधिकार है और अनुराग गुप्ता को पूरी तरह नियमानुसार नियुक्त किया गया है। बाबूलाल मरांडी ने अपनी याचिका में कहा था कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार मामले में तय दिशा-निर्देशों के खिलाफ की गई है। आरोप लगाया गया कि यूपीएससी पैनल से चुने गए डीजीपी को गलत तरीके से हटाकर Anurag Gupta की नियुक्ति की गई। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी डीजीपी को पद से हटाने के लिए जो शर्तें निर्धारित की हैं, उनका उल्लंघन किया गया। इसलिए अनुराग गुप्ता की नियुक्ति न्यायालय की अवमानना के दायरे में आती है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबूलाल मरांडी की दलीलों को अस्वीकार करते हुए अवमानना याचिका खारिज कर दी। अदालत ने माना कि नियुक्ति प्रक्रिया राज्य सरकार के अधीन है और इसमें किसी भी प्रकार का अवमानना का मामला नहीं बनता। इस फैसले के बाद न केवल अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सुरक्षित हो गई, बल्कि राज्य सरकार को भी बड़ी राहत मिली है। वहीं विपक्ष का दावा है कि यह मुद्दा अब भी राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर चर्चा का विषय बना रहेगा।
