मुंबई : महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई में आज वक्फ (संशोधन) बिल 2025 के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। भेंडी बाजार के हांडीवाला मस्जिद के पास कई उलेमाओं और मुस्लिम विद्वानों ने एकजुट होकर इस बिल के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। रजा अकादमी द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने की बात कही।
क्यों है विवाद?
वक्फ (संशोधन) बिल 2025 को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने आज राज्यसभा में इस बिल को पेश किया, जिसे पहले लोकसभा में 288 मतों के समर्थन के साथ पारित किया जा चुका है। इस बिल का नाम अब UMEED (Unified Waqf Management Empowerment Efficiency and Development) बिल रखा गया है। सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए लाया गया है, जिसमें वक्फ ट्रिब्यूनल को मजबूत करना और गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों की मांग
मुंबई के भेंडी बाजार में प्रदर्शन के दौरान उलेमाओं ने इस बिल को वापस लेने की मांग की। रजा अकादमी के एक प्रतिनिधि ने कहा, “यह बिल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।” प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान मुस्लिम समुदाय के आत्मनिर्णय के अधिकार को कमजोर करता है।
दूसरी ओर, किरेन रिजिजू ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि यह किसी भी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, “यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए है। हमने सभी पक्षों से इस पर समर्थन मांगा है।” सरकार का दावा है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रुकेगा और इसका लाभ समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्गों को मिलेगा।
