उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सड़कों पर नमाज अदा करने के खिलाफ दिए गए बयान ने धार्मिक गतिविधियों और सार्वजनिक स्थानों के उपयोग को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। योगी आदित्यनाथ ने सड़कों पर नमाज अदा करने के खिलाफ अपनी सरकार के रुख का बचाव करते हुए कहा कि सड़कें यातायात के लिए हैं, नमाज के लिए नहीं। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से हिंदुओं से अनुशासन सीखने की बात कही, जो प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में बिना किसी अप्रिय घटना के शामिल हुए थे।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, योगी आदित्यनाथ ने कहा, “66 करोड़ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में हिस्सा लिया, और वहां न तो कोई हिंसा हुई, न उत्पीड़न और न ही कोई अव्यवस्था। सड़कों का उपयोग चलने के लिए है, न कि धार्मिक गतिविधियों के लिए।” उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक के आलोचकों की भी निंदा की।
यह बयान मेरठ पुलिस के हालिया निर्देश के बाद आया है, जिसमें ईद-उल-फितर के दौरान सड़कों पर नमाज अदा करने पर सख्ती से रोक लगाई गई थी। पुलिस ने स्पष्ट किया कि नमाज स्थानीय मस्जिदों या निर्धारित ईदगाहों में ही अदा की जानी चाहिए। इस मुद्दे ने एक बार फिर सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों को लेकर बहस छेड़ दी है।
योगी आदित्यनाथ, जो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, लंबे समय से हिंदुत्व और कड़े प्रशासनिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उनकी सरकार ने पहले भी अवैध बूचड़खानों और गौ-तस्करी पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए हैं, जो उनके धार्मिक राष्ट्रवादी एजेंडे को दर्शाते हैं।
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं। कुछ लोगों ने उनके रुख का समर्थन किया, जबकि अन्य ने तर्क दिया कि हिंदू त्योहारों के दौरान भी सड़कों पर भीड़भाड़ होती है और किसी भी धार्मिक गतिविधि को सड़कों पर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एक यूजर ने लिखा, “किसी भी धर्म की गतिविधि सड़क पर नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोई भी सरकार इसे लागू करने की हिम्मत नहीं करेगी।”
यह विवाद भारत में धर्म और सार्वजनिक स्थानों के उपयोग को लेकर गहरे मतभेदों को उजागर करता है, और आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा होने की संभावना है।
