अंतरिक्ष में भारत की नई पहचान, शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान

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Astronaut Shubhanshu Shukla : आने वाले 10 जून 2025 का दिन भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। इस दिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट और इसरो के गगनयान कार्यक्रम के प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री, Axiom Mission-4 (Ax-4) के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरेंगे।

फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से सुबह 8:22 बजे EDT (भारतीय समयानुसार शाम 5:52 बजे) स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा ड्रैगन कैप्सूल C213 को लॉन्च किया जाएगा, जो इस मिशन के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है।

11 जून को दोपहर 12:30 बजे EDT (भारतीय समयानुसार रात 10:00 बजे) ड्रैगन कैप्सूल ISS के हार्मनी मॉड्यूल के स्पेस-फेसिंग पोर्ट से जुड़ेगा ।

अंतरिक्ष यात्रियों का दल लगभग 14 दिनों तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहकर 31 देशों के 60 वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जिनमें भारत के सात प्रमुख शोध भी शामिल होंगे।

माइक्रोग्रैविटी में मेथी और मूंग के बीजों के अंकुरण का अध्ययन भविष्य की अंतरिक्ष कृषि का आधार बनेगा, जबकि माइक्रोएल्गी से ऑक्सीजन उत्पादन की संभावनाएं गहन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए नई राह खोलेंगी।

शुभांशु शुक्ला अपने साथ अंतरिक्ष में सिर्फ वैज्ञानिक उपकरण ही नहीं, बल्कि चंद्रयान-3 के मॉडल सहित भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक भी ले जा रहे हैं।

इनमें राजस्थानी ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी कलाकृतियाँ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) द्वारा तैयार किए गए सांस्कृतिक प्रतीक शामिल हैं। इसका उद्देश्य भारतीय रचनात्मकता, कला और परंपरा को वैश्विक मंच पर, खासकर अंतरिक्ष जैसे अनूठे वातावरण में प्रस्तुत करना है।

चार देशों के दल की
कमांडर पेगी व्हिटसन (अमेरिका)
व्हिटसन होंगी, जिन्हें “अंतरिक्ष की रानी” कहा जाता है। वह नासा की सबसे अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने 675 दिन से अधिक समय अंतरिक्ष में बिताया है और 10 स्पेसवॉक किए हैं।

लखनऊ में जन्मे शुक्ला, भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट और इसरो के गगनयान कार्यक्रम के प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री हैं। वो ड्रैगन कैप्सूल के पायलट के रूप में लॉन्च, डॉकिंग और री-एंट्री की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह किसी भारतीय की इस पद पर पहली नियुक्ति होगी।

550 करोड़ रुपये की लागत वाला यह मिशन भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के लिए महत्वपूर्ण अनुभव साबित होगा।

तीसरे यात्री पोलैंड के स्लावोस उज़नान्स्की-विस्निएव्स्की जो
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिक हैं, अंतरिक्ष विकिरण और उच्च-ऊर्जा भौतिकी पर शोध करेंगे।

चौथे अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू हंगरी के हुनोर अंतरिक्ष कार्यक्रम (HUNOR Space Program) के वैज्ञानिक हैं और वो अंतरिक्ष विकिरण और जीवन विज्ञान में विशेषज्ञता रखते हैं।

200 से अधिक वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम प्रयोगों के डेटा का रियल-टाइम विश्लेषण करेगी।

मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से सीधे भारतीय छात्रों के साथ संवाद भी करेंगे। इसरो के इस पहल का उद्देश्य युवा मनों में विज्ञान के प्रति उत्साह जगाना है।

24 जून 2025 को ड्रैगन कैप्सूल प्रशांत महासागर में उतरेगा, जहां नासा की रिकवरी टीम चालक दल को सुरक्षित निकालेगी। यह स्प्लैशडाउन अमेरिकी तट से दूर किया जायेगा ताकि ड्रैगन के ट्रंक से गिरने वाले मलबे का खतरा कम हो।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल वैज्ञानिक उपलब्धि तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह उन लाखों भारतीय युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा बनेगी जो साधारण पृष्ठभूमि से आकर असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं।

अंतरिक्ष की यात्रा करने दूसरे भारतीय

एक्सिओम-4 मिशन के पायलट शुभांशु के अलावा चालक दल के अन्य सदस्यों में पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी से टिबोर कापू और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन शामिल हैं। इस प्रक्षेपण के साथ ही शुभांशु लगभग चार दशक बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी।

लखनऊ में जन्मे शुभांशु ने मंगलवार को प्रक्षेपण से पहले ‘एक्सिओम स्पेस’ द्वारा जारी एक वीडियो में कहा, ”यह एक अद्भुत यात्रा रही है; ये ऐसे क्षण हैं, जो वास्तव में आपको एहसास कराते हैं कि आप किसी ऐसी चीज का हिस्सा बन रहे हैं, जो आपसे कहीं बड़ी है। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि इसका हिस्सा बनकर मैं कितना भाग्यशाली हूं।” शुभांशु को प्यार से ”शक्स” के नाम से जाना जाता है।

शुभांशु टैलेंटेड हैं-टिबोर कापू


टिबोर कापू ने कहा, ”शुभांशु की बुद्धिमत्ता और उनके पास मौजूद ज्ञान से पता चलता है कि उनकी उम्र 130 साल हो सकती है।” व्हिटसन, एक अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में 675 दिन बिताए हैं और 10 अंतरिक्ष चहलकदमी की है। व्हिटसन ने कहा, ”मेरे लिए, ड्रैगन कैप्सूल में उन्हें पायलट के रूप में रखना बहुत अच्छी बात है। वह पहले से ही परिचालन के मामले में बहुत कुशल हैं और जब अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकियों की बात आती है, तो वह बहुत ही कुशल हैं।”

स्लावोस्ज ने कहा कि शुभांशु अपने दृष्टिकोण को लेकर बहुत केन्द्रित हैं और परिस्थितियों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं। पोलिश अंतरिक्ष यात्री ने कहा, ‘वह बहुत केंद्रित हैं। वह रिकॉर्ड समय में एक, दो, तीन, चार कदम आगे बढ़ जाते हैं। मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह इतनी तेजी से वहां कैसे पहुंच जाते हैं।” शुभांशु ने अपने साथियों की प्रशंसा की तथा उन्हें एक ”शानदार” दल बताया तथा कहा कि वे ”जीवनभर उनके मित्र” रहेंगे। उन्होंने कहा कि अपने आदर्श राकेश शर्मा की तरह वह भी अगली पीढ़ी को अंतरिक्ष विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने और अंतरिक्ष यात्री बनने का प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहेंगे।

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Author: kelanchaltimes

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