साहिबगंज।मंगलवार को नीति आयोग के आकांक्षी जिला मद से जलकुंभी के तने पर आधारित शिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। महिलाओं, विशेषकर आदिवासियों को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है, जो उधवा झील पक्षी अभयारण्य के पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र के गांवों में रहते हैं। यह झारखंड का सबसे बड़ा और एकमात्र पक्षी अभयारण्य है और प्रस्तावित रामसर स्थल है। जलकुंभी को अधिसूचित अभयारण्य के आस-पास के क्षेत्रों से एकत्र किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य अभयारण्य पर ग्रामीणों की आजीविका हेतु निर्भरता को कम करना है, ताकि वन्यजीवों, विशेषकर प्रवासी पक्षियों की मानव गतिविधियों से कम से कम परेशानी हो। साथ ही, जलकुंभी एक आक्रामक प्रजाति है, इसलिए इस तरह के कौशल प्रशिक्षण से कारीगरों को तैयार करने में मदद मिलेगी, जो इस अपशिष्ट का उपयोग हस्तशिल्प निर्माण करने के लिए करेंगे। साहेबगंज जिला प्रशासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु यह प्रयास किया जा रहा है।
