नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सोमवार दोपहर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई। जस्टिस वर्मा के घर पर जले हुए 500 रुपये के नोटों के ढेर मिलने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था। सोमवार को सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को महाभियोग प्रस्ताव का ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। खास बात यह रही कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों (तेलुगु देशम पार्टी, जेडीयू और जेडीएस) के सांसदों ने भी प्रस्ताव पर समर्थन जताया। हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और एनसीपी की सुप्रिया सुले जैसे नाम शामिल हैं। यह स्वतंत्र भारत में पहली बार है जब किसी कार्यरत हाईकोर्ट जज के खिलाफ संसद में महाभियोग की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत आगे बढ़ रही है। अब संसद द्वारा जांच की जाएगी कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई होगी या नहीं। इस कदम को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
