होली 2025: कन्फ्यूजन खत्म, झारखंड और बिहार में 15 मार्च को मनेगा रंगों का त्योहार
रंगों का त्योहार होली आने में कुछ ही दिन बाकी हैं और हर तरफ इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इस साल होली को लेकर बिहार और झारखंड में खासा कन्फ्यूजन देखने को मिल रहा था। कहीं 14 मार्च को होली मनाने की बात हो रही थी तो कहीं 15 मार्च को। लेकिन अब इस कन्फ्यूजन पर पूरी तरह से विराम लग गया है। झारखंड में विद्वानों और पंचांगों के मतानुसार यह स्पष्ट हो चुका है कि रंगों का त्योहार 15 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
होली को लेकर कन्फ्यूजन क्यों?
इस बार होली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति इसलिए बनी क्योंकि विभिन्न पंचांगों और विद्वानों के अनुसार होली का दिन अलग-अलग बताया जा रहा था। मिथिला पंचांग, काशी पंचांग और अन्य धार्मिक विद्वानों ने अलग-अलग तिथियों का जिक्र किया था।
सामान्यत: झारखंड और बिहार में कोई भी त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है। इसी कारण इस बार भी 15 मार्च को होली मनाने का निर्णय लिया गया है। झारखंड में विशेष रूप से यह परंपरा है कि किसी भी त्योहार को उदया तिथि के अनुसार ही मनाया जाए, जिससे लोगों में एकरूपता बनी रहे।
होली का धार्मिक महत्व और तिथि निर्धारण
होली का पर्व फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन रात में होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों के त्योहार के रूप में होली खेली जाती है। मिथिला पंचांग के अनुसार इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा।
चैत्र प्रतिपदा तिथि 14 मार्च को दोपहर 12:26 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन 15 मार्च को उदया तिथि मानी जा रही है। यही कारण है कि झारखंड और बिहार में 15 मार्च को होली मनाने का निर्णय लिया गया है।
काशी और मिथिला पंचांग में अंतर:
मिथिला पंचांग के अनुसार, बनारस (काशी) में होली एक दिन पहले मनाई जाती है। वहां 14 मार्च को रंग खेला जाएगा, जबकि झारखंड और बिहार में 15 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा। काशी में होने वाली होली के एक दिन बाद मिथिला और झारखंड में होली मनाने की परंपरा है।
दो दिन मनाई जाएगी होली!
हालांकि, कुछ जगहों पर लोग दो दिन तक होली मनाने की तैयारी कर रहे हैं। एक वर्ग 14 मार्च को होली खेलने की बात कर रहा है, जबकि अधिकतर लोग 15 मार्च को ही रंगों का त्योहार मनाएंगे। धार्मिक मान्यताओं और पंचांगों के आधार पर 15 मार्च को होली मनाना ज्यादा उचित माना जा रहा है।
धार्मिक और शास्त्रीय कारण:
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंग खेलने की परंपरा है। समाजसेवक और शास्त्र के जानकारों के अनुसार, झारखंड में चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा के उदया तिथि को होली मनाने का रिवाज है। इसी दिन से नववर्ष का आरंभ भी माना जाता है।
मिथिला पंचांग पर नजर
मिथिला पंचांग के अनुसार, रंगों का त्योहार होली 15 मार्च 2025 को ही मनाना उचित है। विद्वानों का कहना है कि बनारस में होली एक दिन पहले मनाई जाती है, जबकि मिथिला क्षेत्र में उदया तिथि के अनुसार होली खेली जाती है। इस वजह से बिहार और झारखंड में 15 मार्च को ही होली खेली जाएगी।
वैद्यनाथ धाम देवघर के तीर्थ पुरोहित जय बाबा के अनुसार:-
देवघर के तीर्थ पुरोहित जय बाबा ने बताया कि बनारस में होली एक दिन पूर्व होती है और वहां की परंपरा के अनुसार मिथिला में एक दिन बाद होली मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि मिथिला पंचांग और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 15 मार्च को होली खेलना अधिक उचित है।
दो दिन की होली: परंपरा या भ्रम?
कई स्थानों पर लोग दो दिन तक होली मनाने की योजना बना रहे हैं। पहले दिन 14 मार्च को कुछ लोग होली खेलेंगे और अगले दिन 15 मार्च को भी रंगोत्सव जारी रहेगा। इस प्रकार की स्थिति भ्रम का कारण बन रही है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उदया तिथि को ही मुख्य होली मनाना उचित माना गया है।
झारखंड में होली का उल्लास
झारखंड में होली का त्योहार विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। ढोल-नगाड़ों की गूंज, गुलाल और रंगों की बौछार से हर गली और मोहल्ला गुलजार हो जाता है। लोग पारंपरिक पकवान जैसे गुजिया, दही बड़े और पुआ बनाते हैं। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस पर्व का आनंद उठाता है।
इस बार भी लोग एक-दूसरे को गुलाल और रंग लगाकर होली की बधाई देंगे। मिठाई बांटी जाएगी और गीत-संगीत के कार्यक्रम होंगे। कोरोना महामारी के बाद यह पहली बार है जब लोग बिना किसी प्रतिबंध के उत्साहपूर्वक होली मना पाएंगे।
होली मनाने के लिए प्रशासनिक तैयारियां
प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। पुलिस बल को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। भीड़भाड़ वाले इलाकों में विशेष निगरानी रखी जा रही है।
सुरक्षा उपाय:
शराब के नशे में वाहन चलाने पर कड़ी कार्रवाई।
सार्वजनिक स्थलों पर रंग लगाने पर रोक।
संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस पेट्रोलिंग।
अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है।
होली के रंगों में भाईचारे का संदेश
होली का त्योहार न सिर्फ रंगों का बल्कि आपसी भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी गिले-शिकवे भूलकर लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और प्यार का इजहार करते हैं। यह त्योहार हमें सिखाता है कि नफरत और द्वेष को छोड़कर मिल-जुलकर रहना चाहिए।
झारखंड और बिहार के लोग अब कन्फ्यूजन से मुक्त होकर 15 मार्च 2025 को होली मनाने की तैयारी कर रहे हैं। बाजारों में रौनक बढ़ गई है और लोग होली के रंग, पिचकारी और मिठाइयां खरीदने में जुट गए हैं।
तो इस होली पर रंगों के साथ-साथ प्रेम और एकता के भी रंग बिखेरें। होली के इस पावन अवसर पर सभी को रंगों से सराबोर होकर खुशियां मनाने का संदेश दें। केलांचल टाइम्स की तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
