रांची: नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी को राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता से डर लगने लगा है. ऐसा क्यों हो रहा है इसको लेकर उन्होंने भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित किया. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि डीजीपी अनुराग गुप्ता गैर कानूनी रूप से काम कर रहे हैं. इस तरह के डीजीपी किसी की हत्या कर दें तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? उन्हें ना सस्पेंशन का डर नहीं है क्योंकि उनकी सर्विस समाप्त हो चुकी है, इस प्रकार से क्राइम करने के लिए ही डीजीपी अनुराग गुप्ता मुख्यमंत्री ने रखा है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मुझे खुद डर है कि वह कब और किससे हमला करवा दें. इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा यह मुख्यमंत्री को बताना चाहिए. कोई लीगल नहीं है, उसके बावजूद वह डीजीपी के पद पर काम कर रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है. भारत के किसी भी राज्य में ऐसी स्थिति नहीं है. दरअसल, 30 अप्रैल को डीजीपी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से ही भाजपा लगातार उनके पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठा रही है. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय डीजीपी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल बढ़ाने की राज्य सरकार की अनुशंसा को ठुकरा चुकी है. सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि राज्य में लोकायुक्त जो भ्रष्टाचार जैसे मामलों की जांच करता है, वह कई वर्षों से खाली है. इसी तरह से सूचना आयोग का भी हाल है. राज्य में सूचना आयुक्त नहीं होने के कारण लोगों को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं मिल पा रही है. उपभोक्ता संरक्षण आयोग की भी यही हालत है. कई जिलों में न तो अध्यक्ष है और न ही सदस्य, जिसके कारण जनता को काफी परेशानी हो रही है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार विपक्ष का नेता नहीं होने का बहाना बनाकर कई बार न्यायालय में हलफनामा दाखिल करती रही है. अब राज्य में विपक्ष का नेता है, इसके बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. महिला आयोग में नियुक्ति के लिए विपक्ष के नेता की जरूरत नहीं थी. इसके बावजूद सरकार ने वहां नियुक्ति नहीं की और इस आयोग की हालत खस्ता कर दी. इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि जब ये संवैधानिक संस्थाएं क्रियाशील हो जाएंगी तो सरकार की कार्यप्रणाली उजागर हो जाएगी और लोगों को पता चल जाएगा कि राज्य में किस तरह की शासन व्यवस्था काम कर रही है. नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से सभी आयोगों में रिक्त पदों को तत्काल भरने की मांग की है
