नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में पल रहे आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। हालांकि, दो दिन बाद ही पाकिस्तान और भारत के बीच युद्धविराम हो गया। भारतीय सेना के इस हमले में पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ है। वो भी तब जब पाकिस्तान पहले से ही कर्ज के दलदल में धंसा हुआ है। मगर, आप यह सोच रहे होंगे कि आखिरकार रोटी और रोजगार के लिए तरस रहे पाकिस्तान को जंग और कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए इतने पैसे कहां से मिलते हैं। दरअसल, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), एशियाई विकास बैंक (ADB) और वर्ल्ड बैंक (WORLD BANK) हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या भारत सरकार की कूटनीति पाकिस्तान को फंड जारी करने के मामले में फेल हो गई है। जानते हैं पूरी बात।भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान को लगभग एक अरब अमरीकी डॉलर तत्काल जारी करने को मंजूरी दे दी। भारत ने इसका विरोध किया और आईएमएफ की महत्वपूर्ण बैठक में मतदान से परहेज किया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान इस फंड का यूज सीमा पार आतंकवाद के लिए कर सकता है। सितंबर 2024 में, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज के लिए मंजूरी मिली थी। 1958 से लेकर अब तक पाकिस्तान IMF के सामने 24 बार हाथ फैला चुका है।पाकिस्तान की फाइनेंशियल हेल्प के लिए वर्ल्ड बैंक (World Bank) से लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तक आगे आए हैं। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने राजकोषीय स्थिरता को मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए पाकिस्तान के लिए 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मंजूरी दी। वित्त मंत्री के सलाहकार खुर्रम शहजाद ने सोशल मीडिया पर दिए बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पैकेज में 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नीति-आधारित ऋण (पीबीएल) और 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कार्यक्रम-आधारित गारंटी (पीबीजी) शामिल है।
