रांची ; झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन का हाल बेहाल है। पार्टी के तमाम शीर्ष नेता संवाद का रास्ता छोड़कर सीधे मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं।ऐसे नेताओं में पहले तो वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर का नाम सामने आया और अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी कई मुद्दों पर सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। चिट्ठी-चिट्ठी के इस खेल से ऐसा लग रहा है जैसे बातचीत का रास्ता बंद होने ही वाला है।मामला जब ऊपर से शुरू हुआ है तो असर नीचे तक इसका असर दिखेगा ही। नया विवाद पेसा कानून काे लागू करने का लेकर है।कांग्रेस की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह इसको लेकर दो-तीन राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन करा चुकी हैं तो अब झामुमो की ओर से यह बात कही जा रही है कि इसे जनजातीय कल्याण विभाग लागू करेगा।झारखंड में सत्ताधारी गठंबधन के पास भारी बहुमत होने के बावजूद आपसी तालमेल कमजोर पड़ती दिख रही है। शुरुआत भाषा विवाद पर वित्त मंत्री के पत्र से हुई है। वित्त मंत्री ने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले पर राजनीतिक दलों का ध्यान खींचा और तमाम प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं।सूत्रों के अनुसार इसी बीच कई मुद्दों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। हालांकि, उनकी ओर से पत्रों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
इधर, हाल में ही पंचायती राज एक्सटेंशन टू शिड्यूल एरिया (पेसा) को लागू करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग लगातार कार्यक्रम आयोजित करा रहा है। अभी कांग्रेस पार्टी के विभिन्न वर्गों से इस संदर्भ में सुझाव भी मांगे गए हैं।कार्यक्रम के दौरान अपना सुझाव देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने मंच से ही यह बात कही कि इस मसले पर मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा से भी परामर्श कर लेना चाहिए। इससे इस बात के संकेत और गहरे हो गए कि दोनों दलों के बीच कहीं ना कहीं दूरियां बढ़ गई हैं।दूसरी ओर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की ओर से तैयारियों की बात ने आग में घी डालने का काम किया है। परिस्थितयां अभी भी नहीं संभलीं तो गठबंधन के दाेनों दलों के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं।
