राष्ट्रीय शिक्षा नीति , 2020 में मातृभाषा की भूमिका विषय पर डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के
टीआरएल विभाग में व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित थे, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत, दीपक कुमार। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार की यह अति महत्वपूर्ण और प्रासंगिक नई शिक्षा नीति 2020 पूरी शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव करती है ताकि इसका 21 वीं सदी की शिक्षा के अति महत्वपूर्ण लक्ष्यों के साथ मेल तो बैठाया ही जा सके, साथ ही इसे प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों की विरासत की नींव पर समृद्ध बनाया जा सके। इस शिक्षा नीति में मातृभाषा की अनिवार्यता इसे और अधिक प्रासंगिक और उदेश्यपूर्ण बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि नई शिक्षा नीति 2020 हमारे विश्व प्रसिद्ध समृद्ध भारतीय विरासतों को न केवल पोषित और संरक्षित करने की बात करती है बल्कि इस ज्ञान को हमारी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से शोध, संवर्धन और नए उपयोगों के लिए भी प्रयोग में लाए जाने की पुरजोर वकालत करती है। अपने संबोधन की समाप्ति पर उन्होने कहा की नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा की अनिवार्यता इस नीति का सबसे सबल पक्ष है। मुख्य वक्ता के तौर पर दीपक कुमार ने नई शिक्षा नीति के तकनीकी पहलू पर विस्तार से जानकारी देते हुए मातृभाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला। डीएसपीएमयू के मानविकी संकाय के डीन डॉ॰ अयूब ने भी उपरोक्त विषय पर काफी विस्तार से अपने विचार रखें। विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग के समन्वयक प्रो. (डॉ.) बिनोद कुमार ने स्वागत भाषण और विषय प्रवेश कराया। कार्यक्रम का संचालन जयकिशोर मंगल ने और धन्यवाद ज्ञापन पीपी महतो ने किए। इस अवसर पर विशेष तौर पर डॉ॰ जेपी शर्मा, डॉ॰ शुचि संतोष बरवार,डॉ॰ पीयूष बाला, डॉ॰ जिंदर सिंह मुंडा , टीआरएल विभाग के सभी शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे |

Author: Ravi Prakash
Sr. Programming Head