रांची : आजकल राजनीति में लोकसभा और विधानसभा को अब समस्या सुलझाने के लिए नहीं, बल्कि एक-दूसरे को दोष देने का अखाड़ा बनते देखा गया है. अब राजनीति का मूल उद्देश्य है एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना और उसे विकास का नाम देने जैसा हो गया है. जानता उम्मीद लगाए बैठी है की कब मिलकर ये नेता जानता की मुद्दों पर बात करेंगे . मगर आज जो तस्वीर झारखंड के बजट सत्र के दौरान देखने को मिली वो वाक़ये में तारीफ़ योग्य है. क्यूंकि ऐसा काफ़ी कम देखने को मिलता है, जहाँ पक्ष विपक्ष में मुद्दों की साथ मिलकर सुलझाने की बात हो.
बजट सत्र के दौरान झारखंड राज्य की महिलाओं के लिए एक खास पहल की गई है. ख़ास बात यो ये है कि सदन के नौवे दिन लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर सदन में देखने को मिली. वो तब जब नेता प्रतिपक्ष ने सदन में सरकार से सवाल किया तो सदन के नेता ने आमतौर पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के बजाए ये कहा कि आप सुझाव दें जम साथ मिलकर काम करेंगे. साथ मिलकर झारखंड से दारू हड़ियाँ के दाग को खत्म किया जाएगा.
बाबूलाल मरांडी ने उठाये सवाल
बजट सत्र के दौरान बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष ने सदन में सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंड में सड़क के किनारे हड़िया दारु की बिक्री आदिवासी महिला करती है यह राज्य के लिए शर्म की बात है आखिर कैसे आदिवासी समाज के लोग दारू छोड़ कर मुख्य धारा में लौटेंगे. संथाल परगना क्षेत्र में सबसे अधिक सड़क के किनारे आदिवासी महिला दिखती हैं. इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में जवाब दिया कहां गुरु जी ने भी सपना देखा था कि झारखंड में दारू हडिया शराब छोड़कर आदिवासी महिलाएं कुछ दूसरे काम से जुड़े.
हेमंत ने बढ़ाया हाथ
इस दिशा में हमारी सरकार ने काम किया फूलों जानो योजना लाई गई ताकि महिलाओं को रोजगार मिले और वो इन कामों से दूर जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा के राज्य में हाड़िया दारु सिर्फ हमारे पूजा पाठ तक के सीमित रहना चाहिए. उन्होंने नवनिर्मित नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से कहा कि अगर आपके पास भी कोई सुझाव हो उसे सुझाव को दीजिए इस दिशा में साथ मिलकर काम करेंगे. ऐसे में सड़क में लोकतंत्र की एक सबदार तस्वीर आज देखने को मिली. जहाँ एक दूसरे की गलतियों को याद दिलाने के बजाए जानता की हित पर बात की गई.
