रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1855 के ऐतिहासिक संथाल हूल आंदोलन के महानायक अमर शहीद सिदो कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो और हजारों वीर शहीदों को माल्यार्पण कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। हूल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि यह दिवस केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे संकल्प, संघर्ष और पहचान का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार स्वास्थ्य कारणों से आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी भोगनाडीह की ऐतिहासिक वीर भूमि पर उपस्थित नहीं हो सके, और वे स्वयं भी उनकी अनुपस्थिति के कारण वहां नहीं जा पाए। उन्होंने कहा कि संथाल हूल विद्रोह झारखंड के स्वाभिमान, अस्मिता और अधिकार की प्रतीक क्रांति है, और इससे प्रेरणा लेकर राज्य सरकार आगे भी आदिवासी धर्म कोड, संस्कृति, भाषा, सभ्यता और पहचान के लिए “हूल उलगुलान” के रूप में कार्य करती रहेगी। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के माध्यम से राज्यवासियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हूल हमारी ताकत है, हूल हमारी पहचान है। आने वाले समय में आदिवासी समाज की मूल सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।’
हूल दिवस के इस अवसर पर गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, रामगढ़ विधायक ममता देवी, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, सारठ विधायक उदय प्रताप सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, खिजरी विधायक राजेश कच्छप और पूर्व विधायक के एन त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के माध्यम से झारखंड सरकार ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि आदिवासी इतिहास, शहादत और संस्कृति को सम्मान देने के लिए वह पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
