काठमांडू ; नेपाल में राजनीतिक हलचल के बीच नया इतिहास लिखा गया है। देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की ने पदभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में उन्हें शपथ दिलाई। फिलहाल किसी और को मंत्री नहीं बनाया गया है। राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि अगले छह महीनों के भीतर संसद का नया चुनाव कराया जाएगा। इससे पहले राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया।सभी प्रमुख राजनीतिक दलों और जेन-जेड विरोधी समूह के प्रतिनिधियों के बीच आम सहमति बनने के बाद कार्की के नाम पर मुहर लगी। हालांकि, नई अंतरिम सरकार के कैबिनेट में जेन-जेड आंदोलन से जुड़े किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई है। वहीं, जेन-जी प्रदर्शनकारियों इस सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन सरकार के कामकाज की निगरानी करेंगे।के.पी. शर्मा ओली को भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा था। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने इन प्रदर्शनों को और उग्र कर दिया। हालात हिंसा में बदल गए। बीते हफ्ते के प्रदर्शनों में 51 लोग मारे गए। 1,300 से ज्यादा लोग घायल हुए। ओली के इस्तीफे के बाद ही उथल-पुथल थमी।सुशीला कार्की न्यायपालिका में भी एक बड़ा नाम रही हैं। वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस थीं। उन्होंने 2016 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व किया। उनके खिलाफ 2017 में महाभियोग भी लाया गया था। उन पर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप के आरोप लगे थे।कार्की ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स किया है। 1979 में उन्होंने वकालत से अपना करियर शुरू किया। लंबा अनुभव और बेदाग छवि ही उन्हें इस अहम जिम्मेदारी तक लाए हैं। उनकी अंतरिम सरकार आज रात ही पहली बैठक करेगी।इस बीच, काठमांडू और आसपास हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। सेना लगातार गश्त कर रही है। बाजार खुलने लगे हैं। मलबा हटाने का काम जारी है।भारत ने भी नेपाल में फंसे अपने नागरिकों को निकालना शुरू किया है। विशेष उड़ानों से आंध्र प्रदेश के 140 लोग सुरक्षित लौटे हैं। कई भारतीय सोनौली और पानीटंकी बॉर्डर से भी वापस आ रहे हैं।नेपाल की राजनीति में यह बदलाव ऐतिहासिक माना जा रहा है। उम्मीद है कि सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार देश को स्थिरता और चुनाव की दिशा में आगे ले जाएगी।
