हजारीबाग की डीसी रही नैंसी सहाय ने लोगों की मदद के साथ उनके आंसू भी पोंछे

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

हजारीबाग । ऐसी अधिकारी अगर हर जिले में मिले तो फिर असली अबुआ राज धरती पर उतर आएगा। हम बात कर रहे हैं आईएएस नैन्सी सहाय की।रात के बारह बजे हो या फिर सबेरे के चार बजे, आम लोगों की मदद के लिए हर समय अपना दरवाजा खुला रखने वाली हजारीबाग की डीसी रही, 2014 बैंच की आईएएस अधिकारी  नैंसी सहाय आम लोगों के दिल में बस सी गई थी। किसी ने कभी भी  मदद के लिए फोन किया या एक मैंसेज डाल दिया तो उसका वह जबाव जरूर देती।  हजारीबाग बाजार में चाय बेचने वाले दिलीप कहते हैं कि एक बार कुछ मनचले चाय दुकान पर देर  रात हुड़दंग  करने लगे। जब कुछ नजर नहीं आने लगा तो नैंसी मैंडम को फोन लगाया। संयोग से तीन रिंग के बाद ही उन्होंने  रात के करीब 12 बजे फोन रिसिव कर पुलिस से मदद कराई। हजारीबाग में ही सैलून चलाने वाले महेश ठाकुर कहते हैं कि डीसी नैंसी मेंम अगर हमारी बात को सुनकर समस्या का समाधान नहीं करती तो आज हम फुटपाथ पर ठोकर खाते। महेश ठाकुर कहते हैं कि जब मैं अपनी समस्याओं को लेकर मिलॉनतो इतनी सरलता से मिली कि पता ही नहीं चला कि वह हजारीबाग की डीसी है। सच कहा जाय तो नैंसी मैंम आम लोगों की आवाज थी।  कहीं से भी आइएएस का इगो नहीं झलकता था। आम लोगों के साथ ऐसा बर्ताव करती कि लोग अपनी दिल का दर्द नैंसी मैंडम के सामने खुलकर उझल देते और मन को हल्का कर लेते। इस तरह सैकड़ों उदाहरण हजारीबाग के जिला मुख्यालय से लेकर हर गली चौराहे पर नैंसी मैंडम को लेकर  भरे पड़े हैं। इसी गुण के कारण हजारीबाग जैसे जिले में चार रामनवमी नैंसी मैंडम ने शांति पूर्ण ढंग से संपन्न करा ली। कुछ भी कोई गलत हरकत करने को सोचता तो आम लोग इसकी सूचना मैंडम तक पहुंचा देते। आज  रोज लोग इसके जाने के बाद भी इनके गुण की चर्चा करने से थकते नहीं हैं। आज सच्चाई यही है कि ऐसे आइएएस पदाधिकारी कम बचे हैं जो आम  जनता की तरफ से चट्टान की तरह हर समस्या के समाधान करने को लेकर  खड़ी नजर आती हो। हजारीबाग के ही रितेश जायसवाल कहते हैं कि नैंसी मैंडम आम लोगों के साथ- साथ समाज के खास लोगों का भी ख्याल रखती थी। हर दुख-सुख में वह बिना किसी तामझाम के शिरकत कर यह साबित कर दिया कि जिसने भी इसे एक छोटे से कार्यक्रम में भी बुलाया तो उसमें समय रहने पर कभी भी नहीं आने का बहाना नहीं बनाई। इसलिए तो हजारीबाग में डीसी नैंसी सहाय के तीन साल तीन महीने के कार्यकाल में शायद ही ऐसा कोई दिन हो जिसमें वह कम से कम तीन आयोजन में शामिल नहीं हुई हो। इसलिए वह आम लोगों के साथ- साथ खास लोगों की भी डीसी  थी।

 

हजारीबाग डीसी कोठी के बगल में स्थित वृद्धा आश्रम की एक वृद्ध महिला ने अपना नाम न छापने के शर्त पर बताई कि मैंडम हर पर्व- त्याेहार में हमारे लिए केवल मिठाई ही नहीं भेजती थी, बल्कि अपनी कोठी से पांच किलो दूध भी बिना मांगे भेजती  रहती थी। हम वृद्धा आश्रम में अकेली जरूर रहते हैं , पर जब से डीसी नैंसी मैंडम आई तो लगता था कि हमारी बेटी आ गई है। जिस तरह बेटी बिना बुलाए अपने मां का घर आ जाती है, उसी तरह हमारे आश्रम का खोज- खबर नैंसी बेटी लेती रहती। कभी बिना बुलाए आ जाती और मिलकर मन खुश कर देती।  उसके जाने के बाद लगता है कि हमसे एक बेटी दूर चली गई। वहीं जब देवघर में भी नैंसी सहाय डीसी थी तो 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी में झंडोत्तोलन करने के बाद वह सरस कुंज जरूर जाती। वहीं सरस कुंज जहां पर आंख से दिव्यांग बच्चे रह कर शिक्षा ग्रहण करते हैं। सरस कुंज में रहकर शिक्षा देने वाले विकास कुमार मंडल जो कि अभी गोड्‌डा जिले के मोतिया उच्च विद्यालय में शिक्षक हैं, वे बताते हैं कि भले मुझे आंख नहीं है, आंख से कुछ भी नहीं दिखलाई पड़ता है। नैंसी मैंडम कैसी है, यह तो नहीं बता सकता, पर एक बात जरूर कहूंगा कि ऐसी संवेदना वाले पदाधिकारी अब खोजने से भी नहीं मिलते हैं, जो आम लोगों के कष्ट को अपना कष्ट समझती हों। अपने ड्राइवर से लेकर अपने कुक तक को भी आप से संबोधन करके नैंसी सहाय ने जो सम्मान आम लोगों के दिल में बनाई है, वह आज के समय में कम आइएएस बना पाते हैं।

 

आज डीसी कौन कहे, डीसी कार्यालय में उसके अधीनस्थ काम करने वाले सहायक इतने रौंब छांटते- फिरते हैं कि लोग इसके देखकर आश्चर्य करते हैं। पर डीसी होकर भी , आइएएस होकर भी अगर कोई अधिकारी इगो लेस रहे तो यह घर परिवार के संस्कार का ही प्रभाव होता है।  नैंसी सहाय के पिता प्रकाश सहाय कॉलेज में प्राध्यापक के साथ पत्रकार भी हैं, वहीं माता राज लक्ष्मी सहाय ने कई पुस्तक की रचना भी की है। राजलक्ष्मी सहाय का कई आलेख समय- समय पर कई लीडिंग अखबारों में छपती रहती है।  नैंसी सहाय के पति वरुण रंजन भी आईएएस पदाधिकारी हैं। हमने यही प्रश्न नैंसी सहाय के पिता प्रकाश सहाय के सामने रखा तो वे बोले कि घर के बातावरण के साथ- साथ परिवार के संस्कार का प्रभाव तो बच्चों पर पड़ता ही है। मैंने नैंसी को बताया कि देखो बेटी, जनता दरबार में जनता सर्वोपरि है। अगर जनता को जमीन पर बैठाती हो, और तुम कुर्सी पर बैठती हो तो यह जनता दरबार नहीं हुआ। इसलिए मैंने देखा कि नैंसी सहाय  के जनता दरबार में अगर डीसी कुर्सी पर बैठी तो जनता के लिए भी कुर्सी का प्रबंध करवाई। अगर जनता  जमीन पर बैठी तो नैंसी भी जमीन पर बैठी। यह देखकर मेरा भी मन  खुशी से भर जाता  है।

kelanchaltimes
Author: kelanchaltimes

Leave a Comment

Kelanchaltimes हिंदी के साथ रहें अपडेट

सब्स्क्राइब कीजिए हमारा डेली न्यूजलेटर और पाइए खबरें आपके इनबॉक्स में

और खबरें

शिबू सोरेन की सेहत में निरंतर सुधार

रांची झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के स्वास्थ्य में सतत सुधार देखा जा रहा है। दिल्ली के सर

विडंबना इंटर में एडमिशन के लिए भटक रही शहीद पोटो हो की वंशज रश्मि पुरती

चाईबासा 1837 में सेरेंगसिया घाटी में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुए कोल विद्रोह के नायक रहे शहीद पोटो हो की वंशज रश्मि पुरती इंटरमीडिएट में

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का किया उद्घाटन

रांची : रांची में नितिन गडकरी ने रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का उद्घाटन किया. इसके साथ झारखंड को 6300 करोड़ की 11 NH परियोजनाओं की

साहिबगंज में रेल हादसा : न ड्राइवर ,न गार्ड दौड़ी ट्रेन खड़ी गाड़ी से टकराई, 14 बोगियां हुई बेपटरी

साहिबगंज झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहड़वा प्रखंड स्थित बिन्दुवासिनी रैक लोडिंग साइट पर गुरुवार सुबह एक बड़ा रेल हादसा हो गया. एक मालगाड़ी की