रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब 800 करोड़ रुपये के बहुचर्चित जीएसटी घोटाले में बुधवार को झारखंड, पश्चिम बंगाल और मुंबई में कुल 12 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। ईडी सूत्रों के अनुसार, छापेमारी में बरामद दस्तावेजों से इस बात के साक्ष्य लगे हैं कि घोटाले को आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हवाला और अंगड़िया नेटवर्क का इस्तेमाल किया है। इस घोटाले में यह ईडी की दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले 8 मई को नौ ठिकानों पर छापे मारे गए थे और छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को रांची में व्यापारी श्याम ठक्कर के प्रतिष्ठान “कामधेनु इंटरप्राइजेज” पर छापा पड़ा। ईडी के अनुसार, उनका संबंध घोटाले से जुड़ी शेल कंपनियों से है। राज्य के सरायकेला निवासी पंचानंद सरदार और जमशेदपुर के व्यापारी ज्ञानचंद जायसवाल के खिलाफ भी ईडी ने जांच की है। आरोप है कि जायसवाल ने कथित रूप से फर्जी बिलिंग के ज़रिए 54 करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) हासिल किया। ज्ञानचंद जयसवाल का बेटा राज जयसवाल कोलकाता स्थित कंपनियों का निदेशक है और वह अपने पिता के साथ मिलकर फर्जी कंपनियों के माध्यम से टैक्स घोटाले में शामिल है। धनबाद के चीनू अग्रवाल और मुंबई के व्यापारी अंकेश जैन उर्फ मलिक जी के परिसरों पर भी छापेमारी की कार्रवाई की गई। इन व्यापारियों पर नकली बिलों और हवाला चैनलों के ज़रिए काली कमाई को सफेद करने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि इन व्यापारियों ने ऑनलाइन नौकरी का झांसा देकर लोगों से आधार, पैन और बैंक डिटेल्स जुटाई और उनके नाम पर फर्जी कंपनियां बनाईं। इन्हीं कंपनियों के माध्यम से जीएसटी इनवॉइस जारी कर आईटीसी का लाभ लिया गया। इसके बाद कंपनियों को बंद कर दिया गया। ईडी इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोलकाता का शिव कुमार देवड़ा को मान रही है, जो पहले दौर की छापेमारी में ही गिरफ्तार हो चुका है।
