पाकुड़ :- शहर के निमतल्ला स्थित मां आनंदमयी काली मंदिर में विगत 1000 वर्षों से अधिक समय से पहले से यहां काली पूजा होती चली आ रही है। लोगों का ऐसा विश्वास है कि मां आनंदमयी के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती है। शायद यही वजह है कि यह काली मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास का केन्द्र बना हुआ है। श्रद्धालुओं के इसी विश्वास के कारण ही इस मंदिर में पूजा अर्चना करने वालों की हमेशा उपस्थिति देखी जाती है। सन 1972 ई. में महेशपुर क्षेत्र के पुरोहित खिरोद पंडित, व पाकुड़ के जाने माने फुनु शुक्ला ने पूजा किया था, इसके बाद से तारपीठ से पुरोहित आकार, तांत्रिक विधि से पूजा होता है, जिम्मेवारी सार्वजनिक काली पूजा कमेटी के पास रही।
वर्षो से है , नीलकंठ घोष , सत्यदेव पाल , जितेंद्र मंडल, सुजय सरकार, उत्तम घोष आदि सदस्यों ने मां आनंदमयी काली की पूजा समारोह सम्पन्न कराने की जिम्मेवारी निभाई। यहा प्रत्येक शनिवार को भी मां की महापूजा एवम आरती होती है, तथा हर आमावश्या को भी मां काली का भव्य पूजा आरती का आयोजन किया जाता है, जहां भक्तो का ताता लगा रहता है। यहां तांत्रिक विधि से होता है पूजा, तथा बली प्रथा के अनुरूप मां को बली भी दिया जाता है।
