मधेपुरा: वीमेंस कॉलेज, कौशल्या ग्राम में आयोजित हुआ एक दिवसीय सेमिनार, वीसी डॉ. अशोक,डॉ. बिमला कुमारी और अन्य विशेषज्ञों ने महिला सशक्तिकरण पर किए महत्वपूर्ण विचार साझा कुलपति डॉ. अशोक कुमार ने महिला शिक्षा को समाज की प्रगति के लिए आवश्यक बताते हुए कहा, “जब तक महिलाएं पूरी तरह से शिक्षित नहीं होंगी, तब तक समाज का विकास अधूरा रहेगा” वीमेंस कॉलेज, कौशल्या ग्राम, मधेपुरा में महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य समस्याओं पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के विषय पर गहन चर्चा की गई, जिसमें श्री कृष्णा विश्वविद्यालय उदाकिशुनगंज, मधेपुरा के माननीय कुलपति डॉ. अशोक कुमार और भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बिमला कुमारी ने अपने विचार साझा किए।
इस सेमिनार में मुख्य रूप से महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और समाज में उनकी भूमिका पर विचार किए गए। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार ने महिलाओं के योगदान और उनके सशक्तिकरण पर अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “महिलाओं के अनेक रूप होते हैं – मां, बहन, पत्नी, दादी और नानी। इन्हीं रूपों में महिलाओं को सृष्टि की जननी माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से महिलाएं देवी, लक्ष्मी और विद्या की देवी के रूप में पूजी जाती हैं, लेकिन भौतिक जीवन में आज भी उन्हें सशक्तिकरण की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा, “समाज के समग्र विकास के लिए जब तक महिलाओं को समान शिक्षा और अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक हमारा समाज पूरी तरह से विकसित नहीं हो सकता।
जब महिलाएं पूरी तरह से शिक्षित होंगी, तभी वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर समाज की प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान दे पाएंगी। इसलिए, महिला शिक्षा के क्षेत्र में हमें और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।” भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बिमला कुमारी ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “महिला सशक्तिकरण और समाज का समग्र विकास तभी संभव है जब महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिले। आज महिलाएं आकाश से लेकर समंदर की गहराई तक हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हैं, लेकिन उन्हें बस और अधिक प्रोत्साहन और समान अवसर की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा, “जब महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, तब समाज का वास्तविक उत्थान होगा। हमें महिलाओं को उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा ताकि वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।” इस कार्यक्रम में सीएम साइंस कॉलेज के सहायक प्राचार्य संजय कुमार, आर पी एम डिग्री कॉलेज के सहायक प्राचार्य और शिक्षक संघ के नेता डॉ. अरुण कुमार, मधेपुरा कॉलेज के डॉ. दिनेश प्रसाद और जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष ब्रजेश कुमार मंडल सहित अन्य प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार व्यक्त किए।
सीएम साइंस कॉलेज के सहायक प्राचार्य संजय कुमार ने वीमेंस कॉलेज के इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “महिला सशक्तिकरण के लिए यह वीमेंस कॉलेज स्तंभ बनेगा। विश्वविद्यालय मुख्यालय में महिला महाविद्यालय की कमी महसूस हो रही थी, जो अब इस कॉलेज के रूप में पूरी हो रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि प्राचार्य डॉ. जूली ज्योति के नेतृत्व में यह महाविद्यालय अपनी बड़ी पहचान बनाएगा।” आर पी एम डिग्री कॉलेज के सहायक प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “महिलाओं के सशक्तिकरण में सबसे बड़ी कमी शिक्षा का अभाव है।
आज भी महिलाओं में शिक्षा की कमी है, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसे बढ़ावा दें। जब तक महिलाएं पूरी तरह से शिक्षित नहीं होंगी, तब तक समाज का वास्तविक विकास संभव नहीं है।” कार्यक्रम के दौरान प्रधानाचार्य डॉ. जूली ज्योति ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और महिला शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रोफेसर बिमला कुमारी को शॉल, पाग, बुके और डायरी से सम्मानित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
जिनमें सहायक प्राध्यापक डॉ. नीलू कुमारी, डॉ. प्रिया कुमारी, डॉ. उपासना कुमारी, डॉ. किरण कुमारी, अमरेश कुमार, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. लक्ष्मण कुमार, काजल कुमारी, शबनम कुमारी, रिचा कुमारी, प्रियंका कुमारी, भारती कुमारी, डॉ. प्रभात कुमार रंजन सहित सैकड़ों शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। इस सेमिनार के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का उद्देश्य स्पष्ट था।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जूली ज्योति और उनकी टीम के प्रयासों से यह कार्यक्रम महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण स्थापित करने में सफल रहा। सभी वक्ताओं ने यह संकल्प लिया कि वे महिला सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर काम करेंगे और समाज में महिलाओं की भूमिका को मजबूत बनाएंगे। यह सेमिनार महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जिससे महिलाओं के शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए एक मजबूत आवाज उठाई गई।
