ढाका/नई दिल्ली, 31 मार्च 2025: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की हालिया चीन यात्रा (26-29 मार्च, 2025) ने दोनों देशों के बीच संबंधों को नई दिशा दी है। इस यात्रा के दौरान हुए समझौतों में स्वास्थ्य क्षेत्र का एक समझौता विशेष रूप से चर्चा में है, जिसके भारत पर भी संभावित प्रभाव की बात की जा रही है।
कुनमिंग में बांग्लादेशी मरीजों के लिए अस्पताल
यूनुस की चार दिवसीय यात्रा के दौरान चीन ने दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग में चार अस्पतालों को बांग्लादेशी मरीजों के लिए आवंटित करने की घोषणा की। साथ ही, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस जल्द ही चटगांव से कुनमिंग के लिए उड़ानें शुरू करने की योजना बना रही है। बांग्लादेश सरकार के प्रेस इकाई ने शनिवार को बताया कि इससे पूर्वी बांग्लादेश के लोग आसानी से कुनमिंग में इलाज करा सकेंगे। इसके अलावा, चीन ने ढाका में अस्पताल निर्माण, रोबोटिक फिजियोथेरेपी और कार्डियोवस्कुलर सर्जरी के लिए सहायता का वादा किया है।
भारत के लिए चुनौती?
बांग्लादेश से हर साल लाखों लोग इलाज के लिए भारत आते हैं। कोलकाता, त्रिपुरा और दिल्ली जैसे शहर बांग्लादेशी मरीजों के लिए प्रमुख गंतव्य रहे हैं। लेकिन अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन और उसके बाद अल्पसंख्यकों पर हमलों के बीच भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा। कई भारतीय अस्पतालों ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज करने से इनकार किया और वीजा प्रक्रिया में भी कठिनाइयां सामने आईं। नतीजतन, बांग्लादेशी मरीजों ने सिंगापुर और थाईलैंड जैसे देशों का रुख किया। अब चीन के इस कदम से भारत के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि कुनमिंग में सुविधाएं शुरू होने से भारतीय अस्पतालों में मरीजों की संख्या और राजस्व में कमी आ सकती है। कोलकाता के निजी अस्पतालों ने पिछले साल अगस्त के बाद से 10-15% राजस्व में गिरावट की शिकायत की थी। हालांकि, पूर्व राजदूत मुंशी फैज अहमद का मानना है कि लोग पूरी तरह भारत आना बंद नहीं करेंगे, लेकिन चीन का विकल्प निश्चित रूप से प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा।
तीस्ता परियोजना और क्षेत्रीय समीकरण
स्वास्थ्य के अलावा, यूनुस की यात्रा में तीस्ता नदी के प्रबंधन पर भी चर्चा हुई। बांग्लादेश ने इस परियोजना में चीनी कंपनियों की भागीदारी का स्वागत किया और जल संसाधनों के लिए 50 साल का मास्टर प्लान मांगा। तीस्ता को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से विवाद है, और चीन की बढ़ती भूमिका भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि यह क्षेत्रीय भू-राजनीति में बदलाव का संकेत दे सकता है।
बांग्लादेश को क्या मिला?
यूनुस की यात्रा में 2.1 बिलियन डॉलर के निवेश और कर्ज के प्रस्ताव के साथ-साथ 8 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अंतरिम सरकार के प्रयासों की सराहना की और संबंधों को “नई ऊंचाइयों” पर ले जाने का वादा किया। यात्रा के दौरान रोहिंग्या संकट और चीनी निवेश जैसे मुद्दों पर भी बात हुई।
निष्कर्ष
चीन-बांग्लादेश का यह स्वास्थ्य समझौता जहां बांग्लादेश के लिए फायदेमंद है, वहीं भारत के लिए आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियां पेश कर सकता है। तीस्ता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चीन का दखल क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अभी भी बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बना रहेगा, लेकिन चीन की बढ़ती मौजूदगी को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।
