नई दिल्ली : लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पेश किया गया, जिसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक पर अपनी बात रखी। रिजिजू ने कहा, “किसी की बात को कोई गलत न समझे। जमीन का दर्द कभी आसमान नहीं समझेगा। मुझे न केवल उम्मीद है, बल्कि पूरा भरोसा है कि जो लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनके दिल में भी बदलाव आएगा। सभी लोग सकारात्मक रवैये के साथ इस विधेयक का समर्थन करेंगे।”
यह विधेयक वक्फ एक्ट, 1995 में संशोधन करता है और वक्फ बोर्ड की संरचना, वक्फ संपत्ति की पहचान करने की शक्तियों और वक्फ बनाने के मानदंडों में बदलाव लाता है। विधेयक में यह शर्त जोड़ी गई है कि वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन करने वाला होना चाहिए।
हालांकि, इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया है। विपक्षी दलों ने मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक से वॉकआउट कर दिया था, जिसमें विधेयक पर चर्चा के लिए समय आवंटन को लेकर गरमागरम बहस हुई थी। रिजिजू ने विपक्ष के इस कदम को चर्चा से बचने का बहाना करार दिया।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक यूजर, रोहित बोहरा ने लिखा, “वक्फ को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए था। बीजेपी में इसे करने की हिम्मत नहीं है। यह संशोधन सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए है।” वहीं, एक अन्य यूजर, सरकास्टिक सेज ने रिजिजू की बात का समर्थन करते हुए कहा, “जबरदस्त बोल रहे हैं।”
यह विधेयक पहले 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था और इसे एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, जिसमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं। जेपीसी ने सभी सुझावों पर चर्चा कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है, जिसके आधार पर आज यह विधेयक सदन में लाया गया।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बहस अभी और तेज होने की संभावना है, क्योंकि यह मुद्दा धार्मिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर संवेदनशील माना जा रहा है।
