नई दिल्ली : राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा शुरू हो गई, जिसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। सोनिया गांधी ने इस विधेयक को संविधान पर “खुला हमला” करार देते हुए आरोप लगाया कि यह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखना है। इस बीच, सरकार ने इन आरोपों का जवाब देते हुए विधेयक को वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए जरूरी बताया।
सोनिया गांधी का सरकार पर हमला
कांग्रेस संसदीय दल की सामान्य सभा की बैठक में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा, “वक्फ संशोधन विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। यह बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह समाज को ध्रुवीकृत रखना चाहती है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में “बुलडोजर” की तरह पारित करवाया, बिना विपक्ष की चिंताओं पर ध्यान दिए।
सोनिया गांधी के इस बयान को विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। सीपीआई(एम) की नेता सुभाषिनी अली ने कहा कि बीजेपी इस विधेयक के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा देना चाहती है। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने चेतावनी दी कि यह विधेयक भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
सरकार का जवाब: विधेयक का नाम बदला, मंशा साफ की
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विधेयक को पेश करते हुए इसका नाम बदलकर “यूएमईईडी (Unified Waqf Management Empowerment Efficiency and Development) बिल” करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक केवल वक्फ संपत्तियों के प्रशासन से संबंधित है और इसका धार्मिक संस्थानों से कोई लेना-देना नहीं है। रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “यह विधेयक वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने और गरीब मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए है। यूपीए सरकार के समय किए गए बदलावों ने वक्फ एक्ट को अन्य कानूनों पर हावी कर दिया था, जिसे ठीक करना जरूरी था।”
गृह मंत्री अमित शाह ने भी विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति केवल प्रशासनिक कार्यों के लिए है, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए। उन्होंने विपक्ष पर वोट-बैंक की राजनीति के लिए डर फैलाने का आरोप लगाया।
लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है विधेयक
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को बुधवार को लोकसभा में 12 घंटे की तीखी बहस के बाद पारित कर दिया गया था। इस दौरान विपक्षी दलों ने इसे “असंवैधानिक” करार देते हुए कड़ा विरोध किया। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इसे “खतरनाक और विभाजनकारी कानून” बताया, जबकि बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इसे संपत्ति हड़पने की चाल करार दिया।
बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस सत्ता में रहते हुए प्रशासनिक सुधारों की बात करती है, लेकिन विपक्ष में रहते हुए संवेदनशील मुद्दों का राजनीतिकरण करती है। वहीं, बीजेपी के एक अन्य सांसद ने दावा किया कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड को कुछ लोगों के नियंत्रण से मुक्त कर गरीब मुसलमानों के लिए फायदेमंद होगा।
विपक्ष की एकजुटता और आगे की रणनीति
विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने इस विधेयक के खिलाफ एकजुट होकर रणनीति बनाई है। मंगलवार को हुई बैठक में विपक्षी दलों ने इसे राज्यसभा में रोकने की योजना पर चर्चा की। दोनों सदनों में इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है।
विधेयक का मकसद और विवाद
वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाना और संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाना बताया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय की स्वायत्तता पर हमला है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
राज्यसभा में इस मुद्दे पर बहस अभी जारी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच यह टकराव किस दिशा में जाता है।
