मधेपुरा। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन की सेवानिवृत्ति के उपरांत विदाई-सह-सम्मान समारोह का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों, छात्रों और महाविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें सम्मानित किया और उनके समर्पित शिक्षण कार्य की सराहना की।
मधेपुरा के मूल निवासी हैं डॉ. मिथिलेश
डॉ. मिथिलेश कुमार ने इस अवसर पर बताया कि वे मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के जगवनी गांव के मूल निवासी हैं। उनका जन्म मार्च 1960 में हुआ था। उनके पिता यदुनंदन यादव एक प्रतिष्ठित शिक्षक और मां पन्ना देवी गृहणी थीं। डॉ. मिथिलेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फारबिसगंज के स्कूल ऑफ एजुकेशन ली एकेडमी हाई स्कूल से प्राप्त की थी।
शिक्षा और करियर की यात्रा
प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि डॉ. मिथिलेश कुमार ने 15 जनवरी 1985 को बीएनएमभी कॉलेज, मधेपुरा से अपनी सेवा की शुरुआत की थी। इसके बाद, अगस्त 2002 में वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रतिनियुक्ति पर आए और मार्च 2010 में यहां उनका स्थायी स्थानांतरण हुआ। इस दौरान उन्होंने महाविद्यालय में अर्थपाल, परीक्षा नियंत्रक और बीसीए समन्वयक के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई।
उच्च शिक्षा और शोध कार्य
डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डॉ. मिथिलेश कुमार ने उच्च शिक्षा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू), भागलपुर से प्राप्त की है। उन्होंने टी. एन. बी. कॉलेज से स्नातक की डिग्री और विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके साथ ही, उनकी एक शोध आधारित पुस्तक “लेंग्वेज एंड पर्सनेलिटी ऑफ महात्मा गांधी” इस वर्ष प्रकाशित हुई है, जो उनके शैक्षिक योगदान को और मजबूती प्रदान करती है।
समारोह में उपस्थित लोग
इस कार्यक्रम में बी.एड. विभागाध्यक्ष डॉ. जावेद अहमद, डॉ. छोटेलाल यादव, सरगम, साजिया, अपराजिता, नेहा, प्रीति, शिल्प, कानू, तृप्ति, तन्नू, रितिका, रुचिका, दौलत, नवनीत, दीपांशु, सूरज, आदित्य, विकास, आशीष, सच्चिदानंद उर्फ दौलत कुमार, नवनीत सहित कई अन्य शिक्षक और छात्र उपस्थित थे। समारोह में डॉ. मिथिलेश कुमार को उनके समर्पण और योगदान के लिए सम्मानित किया गया, और उन्हें भावभीनी विदाई दी गई।
यह समारोह डॉ. मिथिलेश कुमार के लंबे और सम्मानजनक शैक्षिक करियर का प्रतीक था, और उनकी विदाई ने सभी को उनके योगदानों को याद करने का अवसर प्रदान किया।
