देवघर : झारखंड के देवघर जिले के पालोजोरी प्रखंड स्थित बड़िया मोड़ गांव की रहने वाली मीना कुमारी चार, आज ग्रामीण बैंकिंग और डिजिटल सेवा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक नाम बन चुकी हैं। कभी सीमित अवसरों तक सिमटी रहने वाली मीना, अब “बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी” (बीसी सखी) और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) ऑपरेटर के रूप में न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
मीना कुमारी सरस्वती सखी मंडल की सक्रिय सदस्य हैं। वर्ष 2023 में जब उन्हें बीसी सखी के रूप में चुना गया, तब से उन्होंने ग्रामीणों के लिए बैंकिंग सेवाएं उनके दरवाजे तक पहुंचाना शुरू किया। नकद निकासी, जमा, बैलेंस जांच, पेंशन आवेदन, बीमा योजना जैसे पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और अन्य सरकारी योजनाओं के फॉर्म भरना—ये सभी सेवाएं मीना अब अपने गांव और आसपास के इलाकों में देती हैं।
सबसे खास बात यह है कि वह जरूरतमंदों, विशेष रूप से बुजुर्गों और महिलाओं के घर जाकर ये सुविधाएं प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें बैंकों की लंबी कतारों और शहर जाने की परेशानी से राहत मिलती है। इससे ग्रामीणों में डिजिटल लेन-देन के प्रति विश्वास भी बढ़ा है।
हर महीने मीना करीब 600 से 1000 ट्रांजेक्शन करती हैं, जिनकी कुल राशि ₹10 से ₹12 लाख तक होती है। इस सेवा से वह ₹15,000 से ₹20,000 की मासिक आमदनी कर लेती हैं, जिससे उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है। उनके पति एक कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं, और दोनों मिलकर गांव में डिजिटल शिक्षा और जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
मीना की इस पहल ने न सिर्फ उनके परिवार को सशक्त बनाया, बल्कि गांव में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी दी है। आज कई महिलाएं मीना को देखकर बीसी सखी बनने की इच्छा जता रही हैं।
मीना का मानना है कि अगर सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और अवसर मिले तो ग्रामीण महिलाएं भी वित्तीय और डिजिटल दुनिया में अहम भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि परिवर्तन की शुरुआत किसी एक से हो सकती है।
उनकी यह यात्रा इस बात का जीवंत उदाहरण है कि सरकार की योजनाएं जब सही हाथों तक पहुंचती हैं, तो वे किस प्रकार जन-जन के जीवन को बेहतर बना सकती हैं। मीना कुमारी आज ग्रामीण भारत की एक सशक्त और डिजिटल चेहरा बन चुकी हैं।
