भागलपुर: अकबरनगर स्टेशन (पार्किंग) स्थल पर भारत के संविधान निर्माता, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती समारोह धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर विभिन्न नेताओं, कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके विचारों पर चलने तथा उन्हें गांव-गांव तक ले जाने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ओमप्रकाश पासवान ने की, जबकि बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं समतुल्य कैबिनेट मंत्री डॉ. चक्रपाणि हिमांशु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती सभा को संबोधित करते हुए डॉ. चक्रपाणि हिमांशु ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा ग्रहण करो जो जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाए। कठिनाइयों का बहाना न बनाते हुए, प्रतिदिन ईमानदारी से अध्ययन करने पर शिक्षा से प्रेम हो जाएगा। उन्होंने शिक्षा को जीवन का सबसे बड़ा हथियार बताया।
डॉ. हिमांशु ने डॉ. अंबेडकर के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा शेरनी के दूध के समान है, जो इसे पिएगा वह दहाड़ेगा। उन्होंने डॉ. अंबेडकर के समता, शिक्षा और दलित उत्थान के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर मानते थे कि छुआछूत गुलामी से भी बदतर है।
डॉ. चक्रपाणि हिमांशु ने बाबा साहब को एक महान विद्वान और कानून का जानकार बताया। उन्होंने स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए बनी प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और संविधान निर्माता के रूप में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक थे और उनका दर्शन सामाजिक चिंतन पर आधारित था। डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल भारत के बल्कि विश्व के महान नागरिक थे। वे एक महान सुधारक, मानवतावादी और मानव अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। डॉ. अंबेडकर ने अपनी पूरी शक्ति दलितों की सेवा में लगा दी, जिसके कारण वे दलित समाज के मसीहा कहलाए।
इस अवसर पर डॉ. गेंदालाल सहनी, अनिल मंडल, अलख निरंजन पासवान, अवनीश कुमार, गौतम बनर्जी, मोहम्मद उस्मान, सलाउद्दीन हसन, मोहम्मद इरशाद, जनार्दन आजाद, मोहम्मद अयाज, मोहम्मद शहादत, बसर उल हक युवा जिला अध्यक्ष, गुंजन कुमार, कैलाश यादव, अनिल कुमार, आर्यन कुमार, मोहम्मद मंजूर जिला उपाध्यक्ष, मोहम्मद सरवर इमाम आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
