देवघर : बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर, जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है, रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से जूझता नजर आया। सावन माह की शुरुआत होते ही यहां उमड़ती श्रद्धा की लहर इस हद तक पहुंच गई कि मंदिर प्रशासन को रात 8:30 बजे पट बंद करने पड़े। हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए कतार में लगे रहे, परंतु अव्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की कमी के चलते कई लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा।
धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी का माहौल
सुबह से ही बाबा मंदिर के चारों ओर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा था। मंदिर परिसर में भीड़ इतनी अधिक हो गई कि श्रद्धालुओं को धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को खासा कष्ट हुआ। स्थिति इस कदर बिगड़ गई कि पुलिस बल और सुरक्षा कर्मियों को भीड़ नियंत्रित करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी।
कुंड क्षेत्र से लेकर मंदिर परिसर तक हर तरफ केवल सिर ही सिर नजर आ रहे थे। लंबी कतारों में लगे लोगों को आगे बढ़ने में दो-दो घंटे से ज्यादा का समय लग रहा था। कई श्रद्धालु थककर बीच में ही लौट गए। भीड़ नियंत्रण में लगी टीमों ने कई बार लाउडस्पीकर से निर्देश दिए, लेकिन भीड़ की तीव्रता के आगे सब व्यवस्थाएं असहाय प्रतीत हुईं।
कूपन व्यवस्था फेल, दो घंटे में ही खत्म हो गए सारे कूपन
श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए मंदिर प्रशासन ने दर्शन हेतु ऑनलाइन और ऑफलाइन कूपन वितरण की व्यवस्था की थी। सोमवार को कुल 4650 श्रद्धालुओं को कूपन जारी किए गए। परंतु अत्यधिक मांग और सीमित संख्या के कारण मात्र दो घंटे के भीतर ही सभी कूपन समाप्त हो गए। इससे नाराज होकर कई श्रद्धालु आपस में उलझते नजर आए। खासकर वे लोग जो दूर-दराज से आए थे, उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए।
आम कतार में पांच से छह घंटे का इंतजार
जो लोग बिना कूपन के दर्शन की कतार में लगे थे, उन्हें सामान्य कतार में पांच से छह घंटे तक खड़ा रहना पड़ा। कई श्रद्धालुओं ने शिकायत की कि कतार में भी कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए जा रहे थे, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रही। गर्मी और उमस के बीच लंबे समय तक इंतजार करना कई श्रद्धालुओं के लिए कष्टदायक रहा। इसके अलावा पानी व प्राथमिक चिकित्सा जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं भी नाकाफी रहीं।
प्रशासन ने दी सफाई, सावन में और सख्ती बरती जाएगी
मंदिर प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि अगले रविवार से सावन की विशेष भीड़ को ध्यान में रखकर अतिरिक्त इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस उपाधीक्षक पवन कुमार सिंह ने कहा, “भीड़ अनुमान से बहुत अधिक थी, लेकिन हमने स्थिति को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया। अगले सप्ताह से प्रवेश और निकास मार्गों पर विशेष नियंत्रण और CCTV निगरानी बढ़ाई जाएगी।”
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इस प्रकार की अव्यवस्था को दोहराया नहीं जाएगा। ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम को और सुदृढ़ करने की योजना बनाई जा रही है।
श्रद्धालुओं की राय: ‘आस्था है, लेकिन व्यवस्था भी जरूरी’
मंदिर आए कई श्रद्धालुओं ने बातचीत में कहा कि बाबा के दर्शन की लालसा उन्हें यहां खींच लाई, लेकिन इस प्रकार की अव्यवस्था से मन व्यथित हो गया। बिहार के सासाराम से आए राजीव कुमार ने कहा, “आज पूरे परिवार के साथ दर्शन के लिए आए थे, परंतु चार घंटे कतार में लगने के बावजूद अंदर नहीं जा पाए। यह अनुभव बेहद निराशाजनक रहा।”
वहीं झारखंड के ही गिरीडीह से आई रेखा देवी ने बताया, “बच्चों को लेकर आई थी, लेकिन गर्मी और धक्कामुक्की में बहुत परेशानी हुई। ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए, जहां महिलाओं और बच्चों को असुविधा हो।”
व्यवस्थाएं सुधारने की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि बाबा मंदिर जैसे उच्च धार्मिक महत्व के स्थानों पर भीड़ नियंत्रण और दर्शन व्यवस्था अत्यधिक संगठित होनी चाहिए। CCTV मॉनिटरिंग, बैरिकेडिंग, स्पष्ट सूचना प्रणाली और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं हर जगह उपलब्ध होनी चाहिए। इसके अलावा VIP और आम कतारों के बीच का अंतर कम करते हुए पारदर्शी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
सावन में उमड़ने वाली भीड़ के लिए विशेष तैयारी जरूरी
सावन माह बाबा बैद्यनाथ मंदिर में सबसे अधिक श्रद्धालुओं के आगमन का समय होता है। देशभर से कांवड़ यात्रा पर निकले लाखों श्रद्धालु देवघर पहुंचते हैं। ऐसे में प्रशासन को हर रविवार और सोमवार को विशेष इंतजाम करने होंगे। मंदिर प्रबंधन को दर्शन के लिए टाइम स्लॉट, भीड़ नियंत्रण ऐप, और लाइव दर्शन की सुविधा भी मुहैया करानी चाहिए, जिससे दबाव कम हो सके।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में उमड़ी अपार श्रद्धा की लहर ने एक बार फिर दिखा दिया कि आस्था के समक्ष सभी सीमाएं छोटी पड़ जाती हैं। लेकिन हर वर्ष की तरह इस बार भी प्रशासन भीड़ प्रबंधन में विफल नजर आया। श्रद्धालुओं की आस्था बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि व्यवस्थाएं समय रहते मजबूत की जाएं। अगर यह नहीं हुआ, तो आने वाले सावन के सोमवार और श्रावणी मेले में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
