मधेपुरा। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में सोमवार को राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के संयुक्त तत्वावधान में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. एस. झा उद्घाटनकर्ता-सह-मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने की।
कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने अपने विस्तृत वक्तव्य में डॉ. अंबेडकर के विचारों को आज के युग में अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर सिर्फ दलितों के नहीं, बल्कि पूरी मानवता के उद्धारक थे। वे एक आर्थिक चिंतक, समाजशास्त्री, धर्मशास्त्री, कानूनविद, संविधान-निर्माता और विश्व-स्तरीय दार्शनिक थे। उन्होंने संविधान के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय और अधिकार दिलाने का कार्य किया। उनका जीवन सच्चे अर्थों में संघर्ष, ज्ञान और समर्पण का प्रतीक है।
“डॉ. अंबेडकर को जाति-धर्म की सीमा में न बांधें”
कुलपति ने कहा कि अंबेडकर के विचार सिर्फ किसी वर्ग या समुदाय के नहीं, बल्कि पूरी मानवता के हैं। उनका चिंतन स्वतंत्र भारत के संविधान में परिलक्षित होता है – जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्पष्ट व्याख्या है। उन्होंने कहा कि हमें उनकी सोच को जाति, धर्म या क्षेत्र की सीमाओं में नहीं बांधना चाहिए।
“21वीं सदी डॉ. अंबेडकर की सदी है” – प्रो. कैलाश यादव
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि वर्तमान सदी वास्तव में डॉ. अंबेडकर की सदी है। उनके विचार आज न केवल भारत, बल्कि वैश्विक मंचों पर प्रासंगिक बनते जा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करें और सामाजिक समरसता के वाहक बनें।
विचार मंच पर रखे गए सशक्त विचार
- डॉ. वीणा कुमारी (हिंदी विभागाध्यक्ष): डॉ. अंबेडकर का जीवन मानवाधिकारों की रक्षा हेतु समर्पित था।
- डॉ. सुधांशु शेखर (दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष): अंबेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि एक भावनात्मक राष्ट्रवादी और मानवता के प्रतीक भी थे।
- डॉ. मनोज कुमार यादव (अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष): अंबेडकर के विचारों को युवा वर्ग तक पहुँचाना आज की आवश्यकता है।
- शंभू नारायण यादव (कुलपति के पूर्व निजी सहायक): अंबेडकर का चिंतन आज भी सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के लिए प्रेरणादायक है।
सांस्कृतिक और औपचारिक गतिविधियां
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण और पुष्पांजलि के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम, पुष्पगुच्छ एवं ‘सामाजिक न्याय : अंबेडकर-विचार एवं आधुनिक संदर्भ’ पुस्तक भेंट कर किया गया।
एनसीसी कैडेट्स ने लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार के नेतृत्व में कुलपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। एनएसएस की छात्राओं ने कुलपति का तिलक लगाकर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम के अंत में कुलपति के नेतृत्व में संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन किया गया एवं उसे जीवन में अपनाने की शपथ ली गई।
जन-सैलाब से खचाखच भरा हॉल
सभा में सौ से अधिक शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। सभागार पूरी तरह भरा हुआ था और कई छात्र खड़े होकर भी पूरे समय वक्ताओं की बातें सुनते रहे।
विशेष सहभागिता और समर्पण
कार्यक्रम के आयोजन में नारायण ठाकुर, मनीष कुमार, सौरभ चौहान, सुनील कुमार, वाणी कुमारी, खुशी, शुक्रिया, मुनचुन, शालू, प्रीति, साक्षी, सोनम, अभिनव रमन, सत्यम कुमार, राजीव कुमार, आलोक कुमार, गौरव कुमार सहित कई छात्र-छात्राओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. रंजन यादव (सीनेटर), डॉ. आशुतोष झा, कुंजन लाल पटू, डॉ. रतन कुमार, डॉ. कुंदन कुमार, डॉ. विकास आनंद, सुप्रिया सुमन, शिवम कुमार, मोनू कुमार, सौरभ कुमार, रविशंकर कुमार, निवेदिता, अंकित मिश्रा सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।
